
प्रदेश सरकार हिमाचलियों की अन्य राज्यों से घर वापसी पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। यह राशि कोविड-19 फंड से खर्च की जा रही है। अभी प्रदेश में 61 हजार लोगों की वापसी अन्य राज्यों से होनी है और उन्होंने पंजीकरण करवाया हुआ है। इनमें नॉर्थ-ईस्ट से भी लोग आने हैं और सबसे अधिक किराया 2200 से 2500 रुपये प्रति सीट वहीं से पड़ रहा है।
सरकार की ओर से लाखों रुपये रेलवे का चुकाने के बाद करीब 35 फीसद लोग वापसी नहीं कर रहे हैं और इसके कारण लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। अभी तक सबसे ज्यादा पथ परिवहन निगम को पांच करोड़ रुपये दिए हैं। निगम की बसों का प्रयोग घर वापसी के लिए किया गया है। अकेले चंडीगढ़ हिमाचल भवन को 15 लाख दिए हैं।
अन्य राज्यों से रेलगाड़ी से आने वाले एक हजार से 1500 लोगों पर 10 से 15 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। यही नहीं जो लोग रेड जोन से लाए जा रहे हैं उन्हें संस्थागत क्वारंटाइन करने के लिए जितने दिन के लिए रखा जाएगा उसपर भी लाखों रुपये खर्च हो रहा है। इसके लिए जिलों को अलग से राशि दी गई है। इसमें जागरूकता से लेकर मास्क और सैनिटाइजर के लिए भी कोविड फंड से राशि दी गई है।
लोगों की घर वापसी के लिए खर्च की राशि (लाखों में)
संस्थान व विभाग – राशि
पथ परिवहन निगम – 500
निदेशक परिवहन – 5
हिमाचल भवन चंडीगढ़ – 15
कोंकण रेलवे – 23.11
साउथ वेस्ट रेलवे – 11.04
कुल – 554.15
कहां से आने हैं कितने हिमाचली
राज्य – संख्या
दिल्ली – 9341
हरियाणा – 7280
महाराष्ट्र – 6440
उत्तर प्रदेश – 5294
चंडीगढ़ – 3581
गुजरात – 2924
बिहार – 2714
राजस्थान – 2051
कर्नाटक – 1831
उत्तराखंड – 1474
मध्यप्रदेश – 1256
तमिलनाडु – 1186
पश्चिम बंगाल – 871
असम – 163
अन्य राज्यों से हिमाचल के लोगों की घर वापसी के लिए एक ट्रेन पर 10 से 15 लाख रुपये खर्च आ रहा है। चंडीगढ़ आदि के लिए बसों से विद्यार्थियों को लाया गया है। यह राशि कोविड फंड से खर्च की जा रही है।
-ओंकार शर्मा, प्रधान सचिव राजस्व व स्टेट नोडल अधिकारी।
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