
चौतरफा विरोध के बाद हिमाचल सरकार ने पीजी के लिए बैंक गारंटी आधी कर डॉक्टरों को बड़ी राहत दी है। अब पीजी करने वाले डॉक्टरों को 10 लाख की जगह 5 लाख रुपये एफडी देनी होगी।
मंगलवार देर शाम कैबिनेट की बैठक में सरकार ने यह फैसला लिया है। स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने बुधवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान ये जानकारी देते हुए कहा कि हिमाचल के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए डॉक्टरों को बाहरी राज्यों में जाने से रोकना जरूरी है।
सरकार ने यह भी फैसला लिया गया है कि जीडीओ डॉक्टरों को पीजी करने के बाद 5 साल तक हिमाचल में ही सेवाएं देनी होंगी। प्रदेश के अस्पतालों में सेवाएं दे रहे डॉक्टरों को पीजी के बाद 4 साल और डायरेक्ट एमबीबीएस कर पीजी करने वाले बाहरी राज्यों के डॉक्टरों को दो साल हिमाचल में सेवाएं देना जरूरी होगा।
पीजी करने वाले इन डॉक्टरों से 40 लाख रुपये का बाउंड शपथ पत्र भी देना हो
पीजी के लिए डॉक्टरों को 40 लाख रुपये का बांड शपथ पत्र भी देना होगा। इसमें यह लिख कर देना होगा कि सरकार के नियमों के मुताबिक बाहरी राज्यों में सेवाएं नहीं देंगे। पहले इन डॉक्टरों से 15 लाख तक का बांड शपथ पत्र लिया जाता था।
इसी तरह सुपर स्पेशलिटी में एमडी, डीएम और एमसीएच करने वाले डॉक्टरों को 15 लाख के बजाय 60 लाख रुपये तक का बांड देना होगा। स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने बताया कि डॉक्टर लोन लेकर पीजी कर रहे हैं।
डॉक्टरों को राहत देने के लिए बांड नियमों को सरल किया गया है। दूसरा डॉक्टरों को प्रदेश में सेवाएं देने के लिए रोकना भी जरूरी है, ताकि लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया हो सके।
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