
प्रदेश सूचना आयोग के एक फैसले से यह बात स्पष्ट हो गई है कि राज्य के सभी सहकारी बैंक आरटीआई के दायरे में आते हैं। आयोग ने एक एनपीए खाते के बारे में सूचना देने पर हुई एक शिकायत पर सुनाया है।
राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ने एनपीए के बारे में जानकारी मांगे जाने पर इसे देने से इंकार कर दिया था। आयोग ने पाया कि सरकार से मदद प्राप्त तमाम सहकारी बैंक जनता के लिए जवाबदेह हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल दौलत सिंह ने आरटीआई एक्ट के तहत एक गोदाम को बनाने के लिए ऋण खाता से संबंधित जानकारी मांगी थी, जो एनपीए हो गया है। उन्होंने यह शिकायत सूचना नहीं मिलने की सूरत में सहकारी निदेशालय के जनसूचना अधिकारी के खिलाफ दायर की।
इस पर राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के महाप्रबंधक ने दलील दी थी कि पंजीयक सहकारी सभाओं के 31 जनवरी 2015 के आदेश के मुताबिक सहकारी बैंक आरटीआई एक्ट के दायरे में नहीं आते हैं।
उन्होंने केरल में इस संबंध में अपेक्स कोर्ट की ओर से जारी किए गए आदेशों से भी अवगत करवाया। इस पर सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल दौलत सिंह ने इस पर आयोग में शिकायत की और दलील दी कि बेशक यह बैंक एक सोसाइटी है, मगर इसे सरकार की ओर से पारित कानून से नियंत्रित किया जाता है।
किसी भी राज्य की ओर से अपनाई गई, नियंत्रित की गई और पर्याप्त रूप से वित्तपोषित की गई कोई भी इकाई आरटीआई एक्ट के दायरे में आती है। आयोग ने शिकायतकर्ता की इस शिकायत का निपटारा करते हुए उन्हें आरटीआई में 15 दिन के भीतर सूचना देने के आदेश जारी किए।
आयोग ने कहा कि अगर बताया गया खाता एनपीए है तो इसके बारे में सूचना दे दी जाए। एनपीए की जानकारी सार्वजनिक करना जनहित का मामला है।
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