
कालका शिमला हेरिटेज ट्रैक पर एक बार फिर 114 साल पुराना स्टीम इंजन विदेशी पर्यटकों की डिमांड पर चलाया गया. 1906 का यह इंजन शिमला से 22 किलोमीटर दूर कैथलीघाट स्टेशन तक चलाया गया.
इसमें यूके के 29 विदेशी पर्यटकों ने सफर का आनंद उठाया. सुबह करीब 11:35 बजे शिमला रेलवे स्टेशन से सभी सुविधाओं से लैस तीन बोगियों के साथ इंजन को रवाना किया गया, जो दो घंटे बाद कैथलीघाट स्टेशन पर पहुंचा. यूके के पर्यटकों ने बताया कि वह स्टीम इंजन का सफर करने के लिए विशेष तौर से शिमला आए हैं.
उन्होंने कहा कि वह यह देखना चाहते थे कि यह स्टीम इंजन उस समय भी कैसे चलता था. उन्होंने इसे एक लाख 24 हजार रुपए की बुकिंग फीस अदाकर बुक करवाया है था. उन्होंने बताया कि इससे पहले वह कालका से शिमला भी डीजल से चलने वाली ट्रेन में सफर कर शिमला आए थे.
1906 में चलाया गया था पहली बार
कालका शिमला रेलवे ट्रैक पर पहली बार 1903 में यह ट्रेन चलाई गई थी. वहीं स्टीम इंजन 1906 में ट्रैक पर चलाया गया. 1971 तक कालका से शिमला के बीच यही इंजन बोगियों को खिंचता था. उसके बाद डीजल इंजन आ गए और 1971 में सर्विस करने के बाद इसे ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया. 2001 में स्टीम इंजन की मरम्मत करवाई गई. यह इंजन रेलवे स्टेशन शिमला में खड़ा रहता है. अब इसे पर्यटकों द्वारा बुक किए जाने पर ही चलाया जाता है. 520 केसी नामक इस स्टीम इंजन को नॉर्थ ब्रिटिश लोकोमोटिव कंपनी इंग्लैंड ने बनाया था. साल में कई बार पर्यटक स्पेशल डिमांड पर इस इंजन के सफर का आनंद उठाते हैं.
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