
मुफ़्त की सलाह नंबर एक: आपको चुप रहना सीखना चाहिए, क्योंकि बहसबाज़ी से किसी का भला नहीं होता
सुनने में यह सलाह किसी शांतिदूत द्वारा दुनिया को शांतिस्थल बनाने के लिए दी गई लगती है. हम इससे प्रभावित भी होते हैं. पर नहीं, इस सलाह पर आंख मूंदकर भरोसा न करें. अक्सर हमें इसलिए बहसबाज़ी के दौरान चुप रहने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे मामला और गंभीर हो सकता है. रिश्ते और बिगड़ सकते हैं. यहां तक कि रिश्ते के टूटने का भी डर होता है. पर हमेशा बहस के दौरान चुप रहना सेहतमंद रिश्ते के लिहाज़ से फ़ायदेमंद नहीं होता. अगर आप ही हर बार चुप रह जाते हैं, कई बार तो सही होते हुए भी तो जल्दी ही आपका पार्टनर रिश्ते को डॉमिनेट करने लगेगा. अपनी-अपनी चलाने लगेगा. अगर आप सही हैं तो आपको अपनी बात ज़रूर रखनी चाहिए. अगर पार्टनर बहुत ग़ुस्से में है तो उसके शांत होने के बाद इस बारे में ज़रूर बात करनी चाहिए.
मुफ़्त की सलाह नंबर दो: धीरे-धीरे पार्टनर को बदलने की कोशिश करें या ख़ुद ही बदल जाएं
पुरानी कहावत है कि साथ रहते-रहते दो लोग सालों बाद एक जैसे हो जाते हैं. यह कहावत सही इस हिसाब से है कि समय के साथ लोग बदलने लगते हैं. पर आजकल लोग शादी के तुरंत बाद पार्टनर को अपने अनुसार बदलना शुरू कर देते हैं या पार्टनर के अनुसार ख़ुद को बदलने में लग जाते हैं. बदलाव का यह तरीक़ा यानी सोच-समझकर बदलना ग़लत है. यदि आप दोनों एक अच्छे रिश्ते में उम्रभर बने रहना चाहते हैं तो आपको एक-दूसरे को उसके मूल रूप में स्वीकार करना होगा. आप दोनों को एक-दूसरे को एक जैसा बनाने के बजाय, एक-दूजे का पूरक बनने पर फ़ोकस करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन की गाड़ी बिना हिचकोले खाए चलती रहेगी.
मुफ़्त की सलाह नंबर तीन: रिश्ते की कमान जल्द से जल्द अपने हाथ में ले लेनी चाहिए
देखिए वैवाहिक रिश्ते के बारे में पुरानी कहावत है, यह चार पहियों पर चलनेवाली गाड़ी है. दो पहिए पति और दो पत्नी रूपी होते हैं. कहने का मतलब है रिश्ते में बैलेंस बराबर का होना चाहिए. जब बात संतुलन यानी बैलेंस की है तो एक व्यक्ति के हाथ में कमान रहने से आपके रिश्ते में बैलेंस नहीं रह पाएगा. जल्दी से जल्दी कमान अपने हाथों में लेने की छटपटाहट बेवजह के झगड़ों को जन्म देगी. रिश्ते में ग़लतफ़हमी बढ़ेगी. रिश्ते में शक्ति हासिल करने की होड़ अंतत: आपके रिश्ते पर भारी पड़ सकती है. इसलिए आपको शक्ति नहीं, प्यार और विश्वास हासिल करने पर ज़ोर देना चाहिए.
मुफ़्त की सलाह नंबर चार: कभी-कभी पार्टनर का फ़ोन चेक करने में कोई बुराई नहीं है
किसी का भी फ़ोन उसकी पर्सनैलिटी का एक हिस्सा होता है. उसके दिमाग़ में क्या चल रहा होता है, उसका छोटा-मोटा नमूना होता है. ऐसे में पार्टनर का फ़ोन चेक करके उसके बारे में जानना, वह क्या सोचता है, किससे क्या बात करता है पता करने का ख़्याल बेहद रोमांचक लग सकता है. ख़ासकर जब आपको शक़ हो कि आपके पार्टनर की ज़िंदगी में आपके अलावा किसी की एंट्री हो गई है. पर हम तो यही कहेंगे फ़ोन के ज़रिए पार्टनर की जासूसी करने से बचें. इस तरह चोरी-छुपे फ़ोन देखने से ग़लफ़हमियां बढ़ती हैं. आपको पार्टनर की निष्ठा पर डाउट हो तो डायरेक्टली उससे पूछ लें, बजाय फ़ोन चेक करने के. ऐसा करने से हो सकता है आपको सही जवाब मिल जाए, पर निजी चीज़ों की ताकझांक करने को हम कोई भी तर्क देकर सही नहीं ठहरा सकते.
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