
निरमंड : निरमंड की कोठी ढोड़ गढ़ “डमैहड़ी” के आराध्य देवता साहिब नगेला 27 वर्षों के बाद अपने हरियानों व पूरे लाव लश्कर के साथ अपनी माता बूढ़ी नागिन से मिलने सरेउलसर पहुंचे। देवता ने यहां में शीश नवाकर आशीर्वाद लिया और शक्तियां प्राप्त कीं। यहां देवता साहिब ने 96 वर्षों बाद पांकवा निवासी झाबे राम को अपना माली (गूर) चुना। अपना नया माली चुनने के बाद देवता जलोड़ी सरेउलसर के लिए रवाना हुए।
मंदिर कमेटी डमैहड़ी के सदस्य कमलेश नेगी ने बताया कि देवता साहिब नगेला ने करीब 96 वर्षों के बाद अपना नया माली (गूर) चुना है और 27 वर्षों के बाद अपनी माता बूढ़ी नागिन से आशीर्वाद और शक्तियां प्राप्त करने के लिए सरेउलसर के लिए दौरे पर निकले हैं। उन्होंने बताया कि देवता साहिब मंदिर से पहले पड़ाव में “लढागी बुछैर” पहुंचे और दूसरे दिन बूढ़ी नागिन के पवित्र स्थल सरेउलसर पहुंचकर स्नान किया और अपना नया माली (गूर) चुना।
उन्होंने बताया कि बूढ़ी नागिन के 9 नागों में से एकमात्र निरमंड क्षेत्र के देवता साहिब नगेला अपने माली (गूर) के चुनाव के लिए अपनी माता बूढ़ी नागिन की पवित्र झील सरेउलसर आते हैं और बाकी के अन्य नाग सरपरा के नाग तड़ाई में चुनते हैं। इस दौरान विक्की ठाकुर,राजेंद्र पाल,तेजा नंद, लवली व सहित सैंकड़ों देवलु मौजूद रहे।
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