
धरोहर गांव परागपुर के सिक्खों दा ताल में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन पंडित सुमित शास्त्री ने वर्णन किया कि विषयों का चिन्तन इन्द्रियों का तर्पण है,जबकि उसमें आत्मा तो अतृप्त रह जाती है , पूर्ण के साथ मिलकर ही आत्मा की तृप्ति होती है ये वाक्य कपिल भगवान ने अपनी माता देवहूति को मन की शांति के विषय में कहे । कपिल भगवान ने कहा कि हे मां पूर्ण से मिलने के लिए हमें सच्चे संतो का संग करना चाहिए, वो तुम्हें मेरे भावपूर्ण चरित्रों को श्रवण करवाएंगे जिससे तुम्हारा मन सदा के लिए मुझसे जुड़ जाएगा । और वहीं तुम्हे मेरे प्यारे भक्त मिलेगें । इसके बाद शास्त्री ने सती चरित्र का वर्णन किया ।
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