
देहरा। ब्यास नदी पर बनी महाराणा प्रताप सागर पौंग झील के पुल पर 16 नई लाइटें लगाई गई हैं। दूधिया रोशनी में अब पुल पर गुजरने वाले राहगीरों को भी सहूलियत मिल रही है। अक्सर यहां रोशनी न होने की बजह से आये दिन दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। बीते कुछ महीनों पहले हुई दुर्घटना में एक व्यक्ति को जान से हाथ धोना पड़ा था। जिसके लिए कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एसडीएम देहरा धनवीर ठाकुर को लिखित रूप से अवगत कराया था। इसके बाद त्वरित कार्यवाही करते हुए एसडीएम देहरा ने ब्यास नदी पर बने पुल को रोशन करने के लिए अनुमति दे दी। उसके बाद शनि मंदिर लोअर सुनहेत के प्रबंधक मनोज भारद्वाज व गरली के जाने माने डॉ हरिकृष्ण जोली ने पुल पर लाइटें लगाने के लिए सहयोग किया गया। इन लाइटों के बिजली बिल का भुगतान नगर परिषद देहरा करेगी। यहां लगभग 15 से 20 वर्ष पूर्व लाइटें लगाई गई थी। लेकिन दो विभागों की आपसी असहमति न होने से एक महीनें बाद ही बंद करनी पड़ी। जिसके बाद न तो किसी ने इन्हें जगाने की जहमत उठाई और न ही किसी ने इन लाइटों को रिपेयर करने की कोशिश की। इस पुल से 6 गांवों के लोग पैदल आते जाते हैं।
रात में बेहद खूबसूरत हो जाता है नजारा
दूधिया रोशनी से रात को ब्यास पुल का नजारा बेहद ही खूबसूरत हो जाता है। यहां तक अब आने जाने वाले राहगीर अब बेहद खुश हैं। पर्यटकों को भी ब्यास पुल काफी मनमोहक लग रहा है। दिन के समय में भी इस पुल से नजारा देखने वाला होता है। सर्दियों में धौलाधार पर्वत पर बर्फ की सफेद चादर यहां से बिल्कुल साफ दिखती है। पर्यटक अक्सर इन तस्वीरों को कैमरे में कैद करते देखे जा सकते हैं
पंजाब के सीएम ने किया था ब्यास पुल का उद्धघाटन
सन 1962 में तत्कालीन पंजाब सरकार के पहले मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैहरों ने किया था पुल का उद्धघाटन। हिमाचल प्रदेश के गठन के पूर्व यह इलाका पहले पंजाब के होशियारपुर से जुड़ा था। उस वक्त लगभग दो साल में यह पुल बनकर तैयार हुआ था और तत्कालीन मुख्यमंत्री ने यहां आकर इस पुल का उद्धघाटन किया। देहरा के सुशील शर्मा ने बताया कि यह पुल पंजाब सरकार के समय में बनाया गया था। इसका उद्धघाटन पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैहरों ने किया था। उन्होंने कहा कि सन 1962 से लेकर आजदिन तक लाइटें जगी नहीं।
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