
टीबी के संक्रमण को वातावरण से मुक्त करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने क्षय रोग कार्यक्रम के तहत खांसने वाले व्यक्तियों को अस्पताल लाने और जांच करवाने के बाद रिपोर्ट के पॉजिटिव आने के बाद उसे 500 रुपये देने का प्रावधान किया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला शिमला डॉ. नीरज मित्तल ने इसकी पुष्टि की है। क्षयरोग मुक्त कार्यक्रम के तहत टीबी रोगियों की तलाश को लेकर विभाग ने मुखबिर प्रोत्साहन राशि (इनफोरमर इंसेटिव) शुरू की है। जिला में 1102 क्षय रोगी हैं।
दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल (रिपन) में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की ओर से बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ. रविंद्र कुमार, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरीराम ठाकुर, डॉ, मनीष सूद और डॉ. गोपाल आशीष शामिल रहे। बैठक में बताया गया कि रोगियों की तलाश व तुरंत उपचार को लेकर प्रदेश सरकार क्षय रोग कार्यक्रम के तहत योजना को तैयार किया है।
इसमें कि 5 सौ रुपये की नकद राशि और रोगियों का पता करने को लेकर यह मुहिम कारगर हो सकती है। बैठक में बताया गया कि अक्षय संवाद संस्था भी यह कार्य कर रही है जोकि आईजीएमसी में मरीज के साथ आए परिजन को खांसने के बाद टेस्ट करवाने के लिए सेंटर पर लाती है।
इसी तरह कृष्णानगर में भी यह कार्य किया जा रहा है। जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. अशोक चौहान ने बताया कि लगातार दवाइयों का सेवन करने से रोगी टीबी जैसी बीमारी से बच सकते हैं। रोगियों को मुख्यमंत्री क्षयरोग निवारण योजना के तहत निक्षय पोषण योजना में 500 रुपए प्रतिमाह अनुदान राशि भी दी जाती है।
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