
शिमला : एसएफआई ने वीरवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय परिसर में धरना दिया। धरने के माध्यम से एसएफआई कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार द्वारा मौलाना आजाद नैशनल फैलोशिप बंद करने का विरोध किया। एसएफआई के विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष हरीश ने कहा कि पिछले दिनों अल्पसंख्यक विभाग की मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा संसद में यह कहा गया कि मौलाना आजाद नैशनल फैलोशिप सरकार द्वारा दी जाने वाली अन्य फैलोशिप के साथ ओवरलैप कर रही है इसलिए सरकार ने इसे बंद करने का फैसला लिया है। अपने वक्तव्य में उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में मुस्लिमों को ओबीसी का दर्जा प्राप्त है जहां यह फैलोशिप ओवरलैप कर जाती है।
उन्होंने कहा कि इसके विरोध में देश भर में छात्रों द्वारा धरने-प्रदर्शन किए जा रहे हैं और एसएफआई इन विद्यार्थियों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों का समर्थन करती है और इसी के चलते एसएफआई कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में धरना दिया। उन्होंने कहा कि यह फैलोशिप देशभर के 6 अल्पसंख्यक समुदायों 6 मुस्लिम, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, सिख 8 के शोध कार्य कर रहे उन छात्रों को मिलती है जिनकी वार्षिक आय 6 लाख से कम है। इस फैलोशिप को 2005 के अंदर बनी सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर 2009 में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को उच्च शिक्षा में मदद देना था।
उन्होंने कहा कि सरकारों की छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ छात्रों की आवाज बनकर आंदोलन करती आई है और आज भी इस आंदोलन को देश भर में तब तक जारी रखेगी जब तक सरकार द्वारा जारी किया गया यह तुगलकी फरमान वापस न लिया जाए।
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