
शिमला : हस्तशिल्प को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में लगाई गई विज्ञान सूचना एवं प्रोद्योगिकी परिषद की प्रदर्शनी में के दूसरे दिन काफी संख्या में स्थानीय लोग व पर्यटक हस्तशिल्प उत्पादों को देखने व खरीदने के लिए पहुंचे। पर्यटकों व स्थानीय लोगों ने यहां प्रदर्शित किए गए हस्तशिल्प उत्पादों की सराहना की। लोगों को चंबा रूमाल और चंबा चप्पल खूब पसंद आई। चंबा रूमाल काफी महंगा है, बावजूद इसके लोग इसके बारे में पूछने और खरीददारी करने पहुंच रहे थे। कारीगर हीना ने बताया कि रूमाल के बारे में रोचक बात यह है कि दूर से देखने पर बेशक ये बहुत आकर्षक न लगे पर जब पास से देखते हैं आंखों पर विश्वास नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि हाथों से बने रूमाल जहां चंबा की लोक परंपरा को सहेजे हुए है। चंबा रूमाल आमतौर पर वर्गाकार या आयताकार बनाए जाते हैं। इसे सिल्क के धागे के साथ दोहरा टांका तकनीक से बनाया जाता है। साधारण सूती कपड़े के दोनों तरफ एक समान चित्र उकेरे जाते हैं। चंबा रूमाल बनाने के लिए कलाकार पहले ²श्य या घटना को चित्रित करता है, उसके बाद पेंसिल से रूपरेखा तैयार करता है। इसके बाद सिल्क के रंग-बिरंगे धागों को सुई में पिरो कर दोहरे टांके की कढ़ाई करते हैं। इसको बनाने में बुहत दिनों का समय लग जाता है । ये रूमाल 200 से लेकर 4 लाख का होता है।
चंबा चप्पल में युवा दिखा रहे रुचि
चंबा चप्पल के स्टाल पर मौजूद विक्रेता अनिल ने बताता कि उनके परिवार द्वारा आजादी के पहले से यही कार्य किया जा रहा है। पहले की तुलना में चंबा चप्पल का व्यापार बढ़ा है। वर्तमान में अधिकतर बच्चे पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहते हैं। युवा चप्पल खरीदने में काफी रुचि रखते हैं। चंबा चप्पल की कीमत 250 से 1300 रुपये तक है। चंबा चप्पल में अब अनेक प्रकार वेरायटी है और विभिन्न डिजाइन उपलब्ध है। जिन बेटियों की शादी चंबा से बाहर होती है वह चप्पल को किसी चहेते को उपहार के तौर पर देती हैैं।
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