
तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार (परस राम भारती):- विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और ट्राउट मछली के लिए मशहूर जिला कुल्लू की तीर्थन घाटी पर्यटन के क्षेत्र में एक उभरता हुआ नाम है। यहां पर हर वर्ष हजारों देशी विदेशी पर्यटक, प्रकृति प्रेमी, अनुसंधानकर्ता और अति विशिष्ट व्यक्ति भ्रमण करने आते हैं। लेकिन बढ़ते पर्यटन के साथ-साथ यहां के मुख्य स्थलों की स्थिति दिनोंदिन दयनीय होती जा रही है। तीर्थन घाटी के केंद्र बिंदु गुशैनी बाजार में ना तो कोई साफ-सफाई है और ना ही स्वच्छ सुलभ शौचालय तथा न ही कोई वर्षाश्रलय की व्यवस्था है। यहां पर पसरी गंदगी और आवारा पशुओं का साम्राज्य बाहर से आने वाले सैलानियों को मुंह चिढ़ाते हैं।
सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर साल लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन तीर्थन घाटी में पर्यटन विकास हेतु कोई भी मूल सुविधा नहीं जुटाई जा जा सकी है। घाटी के केंद्र बिंदु गुशैनी बाजार में स्थानीय ग्राम पंचायत द्वारा वर्षो पहले सुलभ शौचालय का निर्माण तो किया गया लेकिन साफ सफाई के अभाव में इसकी स्थिति बद से बदतर हो चुकी है जिस कारण लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर है।
यह शौचालय लोगों की परेशानी का सबब बन गया है यहां पर साफ-सफाई की कोई भी उचित व्यवस्था नहीं है। इसके आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है जहां पर साथ में एक छोटा सा टैक्सी स्टैंड भी है। बदबू की वजह से चालकों को भी अपनी गाड़ी के पास बैठना भी दूभर हो रहा है। हालंकि कुछ लोग मुंह पर रुमाल रखकर इसे शौच के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं, जबकि महिलाओं और पर्यटकों को यहां पर आकर शर्मिंदगी महसूस होती है।
तीर्थन घाटी गुशैनी में एक और जहां गंदगी का अंबार लगा है वहीं दूसरी ओर आवारा पशुओं के आतंक से राहगीर, किसान और वाहन चालक परेशान है। आए दिनों यह आवारा पशुओं के झुंड किसानों द्वारा बीजी गई नगदी फसलों को भी बर्बाद कर रहे हैं। यह आवारा पशु कभी भी सड़क हादसों का कारण बन सकते हैं। दिन प्रतिदिन यहां की सड़कों पर आवारा पशुओं का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है। घाटी में बढ़ते कूड़े कचरे के ढेर और आवारा पशुओं की समस्या गंभीर होती जा रही है।
गुशौनी स्कूल मैदान के साथ रास्ते में जल स्त्रोत के पास कुछ शरारती तत्वों द्वारा इस्तेमाल किए हुए कोंडोम फेंके हुए मिले। इस रास्ते से होकर प्रतिदिन कई लड़के लड़कियां और अध्यापक स्कूल आते जाते है और इस जगह पर एक पानी का स्त्रोत भी है जहां विद्यार्थी रोजाना पानी पीने आते है लेकिन किसी ने यहां पर इस शर्मनाक हरकत को अंजाम दिया है। इसके अलावा रात के अंधेरे में कुछ लोग नदी में कूड़ा कचरा भी फेंकते हैं जो बहुत ही निंदनीय कार्य है।
इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि आवारा पशुओं से हो रही परेशानी बारे कई बार शासन प्रशासन को अवगत करवा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई भी समाधान नहीं मिला है। लोगों का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों और नदी नालों में कूड़ा कचरा फेंकने तथा लाइफटाइम मानी जाने वाली सड़कों पर आवारा पशुओं को छोड़ने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाए और गुशैनी में एक अच्छे से सुलभ शौचालय का निर्माण किया जाए।
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