
सफलता हेतु सरकार के प्रयासों को चाहिए समा का सहयोग
देहरा, मानव को घरों में कैद करने वाली महामारी कोराना ने मनुष्य को सोचने और अपनी जीवन शैली को प्रकृति के अनुरूप परिवर्तित करने का एक अच्छा अवसर प्रदान किया है। संकट के इस काल में कुछ अपवादों को छोड़कर भारत सरकार, प्रदेश सरकार और जनता ने देश को इससे बचाने के लिए बड़ी जिम्मेदारी और सक्रिय दृष्टिकोण से काम किया। सरकार द्वारा दिए गए त्वरित एवं विवेकपूर्ण दिशा निर्देशों को न केवल प्रशासन और अधिकारियों ने अपितु प्रदेश भर की जनता ने स्वीकार किया। कुछ अपवादों को छोड़कर जनता सरकार और प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी नजर आई। कोरोना के विरुद्ध फ्रंटफुट पर लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों, सफाई कर्मचारी, प्रशासनिक अधिकारी एवं स्वयंसेवकों ने इस काल में देश और प्रदेश को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
आए दिन समाचार के माध्यमों से पता चला कि देश भर में कोरोना के मामले बड़ तो रहे हैं, परन्तु कुछ क्षेत्रों को छोड़कर स्थिति नियंत्रण में ही रही। विश्व का आर्थिक नेतृत्व करने वाले कईं विकसित देश जिस लड़ाई के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो गए, उस लड़ाई को भारत ने जिस तरह से लड़ा, उसकी प्रशंसा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कईं बार की और अन्य देशों के लिए एक उदाहरण के रूप में भारत की सक्रियता प्रस्तुत हुई। इन सकारात्मक परिणामों से भी देश का मनोबल बड़ा और लोगों ने इस लड़ाई में किए हुए अपने योगदान के महत्व को समझा। इस अवधी में प्रवासी कामगारों एवं आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को समस्याएं जरूर उत्पन्न हुई, पर सरकार, प्रशासन और विभिन्न स्वयंसेवकों ने उनका ध्यान रखने का भी पूरा प्रयास किया। जिस कारण कठिनाईयों के बावजूद बिना अशांति और अराजकता फैलाए इस वर्ग ने भी बड़े संयम से यह समय काटा।
इसी बीच इस लड़ाई के दौरान देश को एकता के सूत्र में पिरोते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल की रात पूरे देश से दीपक जलाने का आह्वान किया। इस घटनाक्रम ने जन-जन के भीतर सकारात्मकता, साहस और एकता का प्रसार किया। इस घटनाक्रम से देश को संगठित करने के प्रयास से शायद लोगों को आभास हुआ होगा कि डांडी और चरखे ने कैसे पूरे देश को संगठित किया होगा। इस अवधि में पूरे देश में यदि हम कोरोना वॉरियरस पर हुए हमलों, पत्थरबाजी की घटनााओं और तबलीगी जमात के कार्यक्रम को छोड़ दें तो पूरे देश ने इस संकट की घड़ी में देश का जिम्मेदारी से साथ दिया। इस पूरे काल में हमें पता चला कि इस लड़ाई को पूरे देश की जनता ने केवल सरकारों की नहीं अपितु अपनी लड़ाई समझ के लड़ा, जिसके फलस्वरूप आज हम बिल्कुल ठीक तो नहीं, पर कईं देशों से बहतर स्थिति में हैं। भारत में 4 मई को देश व्यापी लॉकडॉऊन का चरण सफलता पूर्वक समाप्त होगा।
इसके उपरान्त देश के कई क्षेत्रों में गंभीर स्थितियों को देखते हुए लॉकडॉऊन और 14 दिन के लिए आगे बड़ाने का निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया गया है। पूर्व की भांति अपनी जिम्मेवारी को निभाते हुए आगे भी भारत की जनता इस लॉकडॉऊन की पालना करेगी। लेकिन इस लॉकडॉऊन से आर्थिक तौर पर देश को भारी नुकसान झेलना पड़ा। इसी कारण गृह मंत्रालय ने बहुत से व्यवसाय और व्यापार को चलाने की अनुमति दे दी है और 3 मई के बाद सुरक्षित क्षेत्रो में लॉकडाऊन में और अधिक ढील मिलने की संभावना है। जनता की परीक्षा की असल घड़ी अब शुरु होगी। प्रधानमंत्री ने हाल ही में मन की बात के अपने 64वें वक्तव्य में देश को संबोधित करते हुए कहा कि यह लड़ाई जनता की लड़ाई है, शासन प्रशासन उनके साथ लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अति आत्मविश्वास में न आएं कि कोरोना अभी तक हमारे गांव या शहर में नहीं पहूंचा, तो आगे भी नहीं पहुंचेगा। प्रधानमंत्री ने सपष्ट संकेत दे दिए कि अब जनता को अधिक जिम्मेदारी से काम लेना पड़ेगा।
हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में कोरोना के विरूद्ध अब तक चली यह लड़ाई, पूरे देश में एक मिसाल बन गई है। जिस कुशलता एवं सतर्कता से प्रदेश की सरकार और प्रशासन ने इस लड़ाई को जनता के सहयोग से लड़ा है, उसके परिणाम हमारे सामने हैं। जिसके फलस्वरूप स्वयं प्रधानमंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री की पीठ थपथपा चुके हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों और मीडिया में हिमाचल मॉडल की चर्चा होना स्वाभाविक है। प्रदेश सरकार और प्रशासन के इन प्रयासों को सफल बनाने हेतु अब प्रदेश की जनता को और अधिक समझदारी और जिम्मेदारी से काम लेना होगा, जिससे हम अपनी सरकार और प्रशासन के परिश्रम को व्यर्थ न जाने दें।
हम सब जानते हैं कि यह महामारी मजहब, जाति, क्षेत्र और राजनीतिक विचारधारा को देखकर नहीं आएगी। जरा ही असावधानी यदि हमारी ओर से होती है, तो हमारा पूरा परिवार, गांव-शहर और समाज संकट में आ सकता है। बाजार खुल तो तो गए है और शायद आगे और अधिक छूट मिल जाए, परन्तु अब सतर्कता और बड़ानी पड़ेगी। इस भ्रम में कोई न आए कि बाजार खुले हैं, पुलिस कम है और हमारे यहां कोई केस नहीं है, तो हम सुरक्षित हैं। अब से हमें शारीरिक दूरी, चेहरे को हमेशा ढक कर रखना, सार्वजनिक क्षेत्रों में न थूकना और अनावश्यक बाहर न जाने जैसी आदतों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। इतिहास में विभिन्न प्रकार की अनेकों लड़ाईयों के बारे में हमने सुना-पढ़ा और कोरोना की इस लड़ाई के प्रत्यक्ष अनुभव से हमें एक बात स्पष्ट हो गई होगी कि कोई भी लड़ाई बिना समाज की सहभागिता से नहीं जीती जा सकती। सरकारें यदि कितना भी प्रयास कर लें, कितने भी संसाधन खड़े कर दे, कितनी ही सुविधाएं दे दे, परन्तु जब तक समाज अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगा, तब तक सब प्रयास असफल ही रहेंगे। व्यवस्थाओं में कुछ कमियां होना स्वभाविक है, परन्तु अब हर संकट और परेशानी के लिए सरकारों को कोसने से काम नहीं चलेगा। समाज को स्वयं आगे आकर अधिक जिम्मेदारी से देश-समाज को बचाने के लिए अपनी भूमिका को समझना पड़ेगा। हाल ही में अपने एक लेख में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें हर स्तर पर एकता और सतर्कता का परिचय देना पड़ेगा। यह लड़ाई लंबी चलेगी और इसमें सफलता तभी मिलेगी यदि समाज धैर्य रखते हुए अपना पूरा सहयोग देगा। समाज संगठित होकर, जिम्मेदारी से एक दिशा की ओर आगे बड़ेगा तो हम अवश्य जीतेंगे।
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