
जवाली में वनरक्षक प्रशिक्षण केंद्र कुठहेड़ दिनों दिन सरकार की अनदेखी का शिकार होता जा रहा है जिसके नाम पर मात्र राजनीति ही की जा रही है। वनरक्षक प्रशिक्षण केंद्र कुठेहड़ को वर्ष 1992 में चालू किया गया था और लगभग चार वर्ष तक इसमें वनरक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता रहा लेकिन बाद में इस केंद्र में प्रशिक्षण बंद कर दिया गया। वर्ष 1996 से यह प्रशिक्षण केंद्र बंद पड़ा हुआ है। इसमें दोबारा से प्रशिक्षण शुरू करवाने की जहमत ही नहीं उठाई गई। लाखों रुपए की लागत से निर्मित दोमंजिला भवन खंडहर होता जा रहा है।
विधानसभा क्षेत्र जवाली से कांग्रेस के दिग्गज चौधरी चंद्र कुमार विधायक रहे, सांसद रहे और सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। उसके साथ ही डा हरबंस राणा भाजपा के विधायक बने व वन मंत्री रहे। लेकिन उनके कार्यकाल में भी इस तरफ नजर-ए-इनायत नहीं हुई। बाद में नीरज भारती कांग्रेस से विधायक व सीपीएस रहे लेकिन फिर भी इस भवन की अनदेखी ही रही। इस बार अर्जुन सिंह जवाली से भाजपा के विधायक बने और राकेश पठानिया वन मंत्री बने। लेकिन चार साल में इस भवन का जिक्र तक नहीं हुआ। बुद्धिजीवियों ने कहा कि राकेश पठानिया के वन मंत्री बनने से उम्मीद थी कि अब यह प्रशिक्षण केंद्र चालू होगा। लेकिन उम्मीद तो उम्मीद तक ही सिमट गई।
जुझारू नेता राकेश पठानिया से जनता को काफी उम्मीद है कि यह प्रशिक्षण केंद्र जरूर शुरू होगा। बुद्धिजीवियों ने कहा कि अगर सरकार ने इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तो यह भवन धराशायी होकर रह जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, वन मंत्री राकेश पठानिया व विधायक अर्जुन सिंह से मांग उठाई है कि वनरक्षक प्रशिक्षण केंद्र कुठेहड़ को पुनः प्रशिक्षण के लिए चालू किया जाए ताकि इसका समुचित लाभ मिल सके। इस बारे में पूर्व मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने कहा कि उक्त प्रशिक्षण केंद्र को कांग्रेस सरकार के सत्तासीन होते ही चालू करवाया जाएगा।
यह बोले राकेश पठानिया
इस बारे में वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि मैने स्वयं दो बार वनरक्षक प्रशिक्षण केंद्र कुठेहड़ का दौरा किया है तथा इसको पुनः चालू करवाने की कवायद भी शुरू है। उन्होंने कहा कि जल्द ही वनरक्षक प्रशिक्षण केंद्र कुठेहड़ को चालू करवाया जाएगा।
कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे news4himachal@gmail.com पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।