
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्राइमरी और मिडल सरकारी स्कूलों का ब्योरा मांगा है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश सबीना ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में कितने प्राथमिक और मिडिल स्कूल हैं? क्या उन्हें किसी प्रकार की छोटी बड़ी मरम्मत की आवश्यकता है? क्या ऐसे स्कूलों में बिजली कनेक्शन हैं? क्या ऐसे स्कूलों में शौचालय हैं? क्या छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय हैं?
स्कूलों के रखरखाव के लिए वार्षिक बजट का आवंटन क्या है? क्या सरकार के पास छात्रों के अनुपात और उपलब्ध कक्षाओं की संख्या के आधार पर अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण की योजना है? पिछले पांच वर्षों के दौरान कितने नए स्कूल भवनों का निर्माण किया गया है? क्या भारत सरकार की स्वच्छ विद्यालय योजना के नाम से जानी जाने वाली योजना राज्य में सभी सरकारी स्कूलों के लिए लागू की गई है? यदि हां, तो कितने स्थानों पर?
तमाम ब्योरा शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय के समक्ष दाखिल करने के आदेश जारी किए गए हैं। स्कूलों की इमारतों की सुचारू रूप से मरम्मत और स्कूलों के उचित रख-रखाव के आग्रह को लेकर हाईकोर्ट के समक्ष जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किए गए हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय में इस मामले पर सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
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