एचआरटीसी की 300 बसें बिना कलपुर्जों के खड़ीं, सैंकड़ों बसें हो रहीं ब्रेक डाऊन #news4
April 11th, 2022 | Post by :- | 418 Views

शिमला : हिमाचल में एच.आर.टी.सी. की 300 बसें बिना कलपुर्जों के वर्कशॉप में खड़ी हैं। वहीं वर्क शॉप में आए दिन कलपुर्जे न होने की वजह से बसें रूटों पर ब्रेक डाऊन हो रही हैं तो कई बसों की ब्रेक  फेल हो रही है, जिससे चालकों-परिचालकों सहित यात्रियों की जान भी जोखिम में डाली जा रही है। सड़कों पर दौड़ रही बसों व उनकी खराबी व वर्कशॉप की बिगड़ती हालत एच.आर.टी.सी. तकनीकी कर्मचारियों ने बयां की है। कर्मचारियों के अनुसार रूटों पर एच.आर.टी.सी. बसें कलपुर्जों की कमी के कारण ब्रेक डाऊन हो रही हैं। तकनीकी कर्मचारियों से हुई बात में सामने आया कि निगम की वर्कशॉप में बसों को ठीक करने के लिए कलपुर्जे ही नहीं हैं। बस में सबसे मुख्य ब्रेक ड्रम होते हैं, जिन पर बसों की ब्रेक निर्भर होती है, लेकिन विडम्बना यह है कि कई सालों से वर्कशॉप में ब्रेक ड्रम ही नहीं आ रही हैं। पुराने ब्रेक ड्रम को रिपेयर की ही बसों में लगाया जा रहा है। तकनीकी कर्मचारियों का कहना है कि ब्रेक ड्रम की एक लाइफ होती है, लेकिन यदि उनकी बार बार मुरम्मत की जाए तो वह खराब हो जाती है, इससे बसों के संचालन में मुश्किल आती है।

कंपनी की टायर रॉड नहीं, जो खरीदी जा रही वो लोकल कंपनी की
इसी तरह बसों को चलाने के लिए मुख्य टायर रॉड ही वर्कशॉप में उपलब्ध नहीं हो रही है। कंपनी का सामान वर्कशॉप में नहीं आ रहा है। वर्कशॉप में जो सामान आ भी रहा है, वह लोक ल आ रहा है, जिसकी न तो गारंटी है और न ही वारंटी कि वह कब जवाब दे जाए। इसके अतिरिक्त वर्कशॉप में इंजन, गियर बॉक्स का सामान नहीं आ रहा है, जिससे बसें जगह-जगह पर खराब हो रही हैं।

3200 बसों का बेड़ा, खराब बसों को ठीक करवाने के लिए नहीं बजट
निगम के पास 3200 बसों का बेड़ा है, जिनमें 300 बसें वर्कशॉप व विभिन्न जगहों पर खड़ी हैं। इस पर तकनीकी कर्मचारी संघ व संयुक्त समन्वय समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार 205 बसों की खरीददारी कर्ज लेकर कर सकती है, लेकिन खराब हुई बसों की मुरम्मत नहीं करवा सकती है और न ही वर्कशॉप में कलपुर्जों का प्रबंध कर सकती है।

वर्कशॉप में नहीं कर्मचारी, हर माह हो रहे 30 से 35 कर्मी सेवानिवृत्त
एच.आर.टी.सी. बसों का रूटों पर खराब होने और जगह-जगह ब्रेक डाउन होने का कारण एक यह भी है कि निगम की सभी जिलों में स्थापित वर्कशॉप में तकनीकी कर्मचारी नहीं हैं। हर माह निगम की वर्कशॉप से 30 से 35 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में भी बसों की मुरम्मत सही तरीके से नहीं हो पा रही है। निगम में पहले जब 1700 बसें होती थीं तो नियमों के अनुसार 1700 बसों पर 2267 कर्मचारी होते हैं, लेकि न अब जब निगम के बेड़े में 3200 बसें हैं तो कुल मात्र 1600 के करीब कर्मचारी वर्कशॉप में काम कर रहे हैं।

आवाज उठाने वालों व असलियत बताने वालों के हो जाते हैं तबादले
हिमाचल पथ परिवहन निगम तकनीकी कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि निगम में कर्मचारियों की समस्या उठाने वाले व निगम की कमियों का उजागर करने वाले कर्मचारियों का तुरंत तबादला किया जा रहा है। संघ के अध्यक्ष नवल किशोर, उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह और प्रधान टेक चंद सहित अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त बयान में कहा कि अभी हाल में ही जे.सी.सी. महासचिव खेमेंद्र गुप्ता द्वारा कर्मचारियों की मांग उठाने और सच्चाई सामने लाने पर उनका तबादला चम्बा कर दिया गया, जबकि यह सही नहीं है। वहीं पदाधिकारियों ने साफ कहा कि  सरकार निगम की सुध लेने की बजाय मैनेजमैंट को बचाने की कोशिश करती रहती है।

एच.आर.टी.सी. तकनीकी कर्मचारी महासंघ महासचिव पूर्ण चंद का कहना है कि एच.आर.टी.सी. वर्कशॉप में तकनीकी कर्मचारियों व कलपुर्जों की वजह से आए दिन बसें ब्रेक डाऊन हो रही हैं। वर्कशॉप में बसों का सामान उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में कई बार प्रबंधन को बताया जा चुका है लेकिन कोई गौर नहीं हो रही है। वहीं माह के 10 दिन बीत गए हैं, अभी तक वेतन नहीं आया है, ऐसे में कर्मचारी कैसे काम करेंगे। सरकार को इस विषय में सोचना चाहिए।

एच.आर.टी.सी. जे.सी.सी. महासचिव खेमेंद्र गुप्ता का कहना है कि प्रदेश भर में जगह-जगह बसें रूटों पर खराब हो रही हैं जिससे चालकों-परिचालकों सहित यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सड़कों पर बसों को खड़ा देखा जा सकता है, लेकिन सरकार कर्मचारियों की बात तो नहीं सुन रही है, लेकिन सरकार को यात्रियों की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।

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