
हिमाचल प्रदेश की 13वीं विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज धर्मशाला में शुरू हो गया है। पहले दिन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्िनहोत्री विधानसभा परिसर के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ गए। वजह थी उन्हें मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश करने से रोका गया था। उन्हें कहा गया कि आप पिछले द्वार से प्रवेश करें।
इस पाबंदी पर नेता प्रतिपक्ष भड़क गए, कि वह भी चुने हुए प्रतिनिधि हैं इसलिए किसी चोर दरवाजे से न जाकर, मुख्य द्वार से ही जाएंगे।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर नें ऐसे किसी भी आदेश से इन्कार किया, उनका कहना था कि हो सकता है, यह आदेश विधानसभा सभापति का हो. मगर जब सभापति जी से संपर्क किया गया तब उन्होंने भी ऐसे किसी आदेश से इन्कार किया..
ऐसे में आखिर किसने, बिना मुख्यमंत्री और खासकर सभापति की अनुमति लिए बिना ही यह नियम पारित कर दिया। निसंदेह, विधायक चाहे विपक्ष के ही क्यों नहीं हों, मगर जनता के प्रतिनिधि समान रूप से होते हैं।
मगर कोई अधिकारी, बिना सरकार को बताए ऐसे नियम ,अपनी मर्जी से ही बना दे,तो विषय चिंतनीय हो जाता है । इस प्रकार तो और भी कई आदेश, बिना सरकार की राय लिए निकल सकते होंगे…
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जब विधानसभा के मुख्य द्वार पर पहुंचे तो उन्होंने काफिला रोककर उनसे बात की व उन्हें भवन के अंदर लाए। इस दौरान धर्मशाला के विधायक विशाल नैहरिया भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद रहे। मुकेश अग्िनहोत्री मुख्य गेट से गाड़ी न जाने देने पर नाराज हो गए।
इससे पहले संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज की गाड़ी को भी सुरक्षा कर्मियों ने मुख्य द्वार से आने से रोक दिया। सुरेश भारद्वाज तो दूसरे द्वार से आ गए, लेकिन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्िनहोत्री धरने पर बैठ गए।
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