
लंपी रोग के संभावित मामलों से जिला ऊना के पशुपालक चिंतित हैं। पशुओं में लगातार चर्म रोग के बढ़ते मामले पशुओं की जान पर भी भारी पड़ रहे हैं। इन मामलों को देखते हुए पशुपालन विभाग पूरी तरह सक्रियता से उपचार और बचाव करने दावे कर रहा है।
लंपी रोग जिला में पांव न पसार सके, इसके लिए पशुपालन विभाग ने चिकित्सकों सहित टीम की छुट्टियां रद कर दी हैं। इसका दावा खुद पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. जय सिंह सेन ने पत्रकारों को दिए बयान में किया है, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। आज यानी 15 अगस्त को ही क्षेत्र के तमाम हास्पिटल और डिस्पेंसरी पर ताले लटके देखे जा सकते हैं, जिससे विभाग के खोखले दावों की पोल खुल रही है।
रविवार को जिला में पशुओं में चर्म रोग के 117 नए मामले सामने आए थे। इसके अलावा दो पशुओं की मौत हो गई थी। अब तक जिला में 669 पशु इस रोग की चपेट में आ चुके हैं। पशुपालन विभाग ने डिस्पेंसरियों के चिकित्सकों और फार्मासिस्टों को पशुपालकों के पास जाकर पशुओं की जांच करने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन इसके उलट चिकित्सक और फार्मासिस्ट घरों में आराम फरमा रहे हैं।
ऐसा ही मामला मजारा और मलूकपुर गांवों में देखने को मिला। इन दोनों गांवों की डिस्पेंसरियों में ताले लटके हुए हैं, जिससे किसान व पशुपालक परेशान हैं। एक तरफ जब विभाग के उच्चाधिकारी इसके लिए चिंतित हैं और चिकित्सकों और फार्मासिस्टों की छुट्टियां रद करने की बात कर रहे हैं, तो कर्मचारी इस आपातकालीन जैसी स्थिति को कैसे नजरअंदाज कर सकते है। यह एक बड़ा सवाल है।
इस संदर्भ में मजारा गांव के फार्मासिस्ट विक्की धीमान से जब डिस्पेंसरी में ताला लगा होने की बात कही तो उन्होंने कहा कि आज छुट्टी है। लेकिन दोबारा पूछा गया कि आपके उच्चाधिकारी छुटियां रद होने की बात कर रहे हैं तो कहने लगे कि वे लोगों के घरों में जाकर पशुओं को देख रहे हैं।
कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे news4himachal@gmail.com पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।