
दाड़लाघाट: शिमला में हुई बैठक निष्फल रहने के बाद दाड़लाघाट में ट्रक आपरेटर का प्रदर्शन 31वें दिन भी जारी रहा। आपरेटरों ने अंबुजा प्लांट गेट से लेकर बस स्टैंड से होते हुए अंबुजा चौक तक आक्रोश रैली निकाली। अंबुजा चौक पर लगभग दो घंटे तक प्रदर्शन किया और अदाणी समूह के विरुद्ध नारेबाजी की।
अब ट्रक आपरेटरों को उम्मीद है कि इसी सप्ताह सकारात्मक परिणाम आ जाएंगे। तब तक ट्रक आपरेटर शांतिप्रिय ढंग से प्रदर्शन करते रहेंगे। एसडीटीओ के निदेशक नीलम भारद्वाज व एडीकेएम के सदस्य राकेश गौतम ने कहा कि अदाणी की मनमानी से आपरेटरों के परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है।
प्लांट को जल्द शुरू करने की मांग
आपरेटरों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्लांट को जल्द शुरू किया जाए। एसडीटीओ के कोषाध्यक्ष राम कृष्ण बंसल व एडीकेएम के सदस्य अरुण शुक्ला ने वीरवार को शिमला में आयोजित बैठक में वास्तविक स्थिति को शुक्रवार को दाड़लाघाट में प्रदर्शन के दौरान सभी ट्रक आपरेटर के समक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि बैठक में चार से पांच मुद्दों पर बात नहीं बन पाई। तेल का खर्च व टायर की घिसाई, बीमा सहित कुछ बिंदुओं के किराये निर्धारण को लेकर कोर कमेटी में सहमति नहीं बन पाई। प्रदेश सरकार ने भी हमारी बात को ध्यानपूर्वक सुनकर जल्द मामला सुलझाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि आपरेटरों को पूरा समर्थन प्रदेश सरकार का मिल रहा है।
तीन मार्च को होगी सुनवाई
अदाणी पावर लिमिटेड के 280 करोड़ रुपये ब्याज सहित लौटने से जुड़े मामले पर सुनवाई तीन मार्च को होगी। सरकार ने प्रदेश हाई कोर्ट को बताया कि अग्रिम प्रीमियम राशि को नौ प्रतिशत ब्याज सहित वापस करने से जुड़े मामले पर अदाणी ग्रुप से बातचीत कर कोई हल निकालने की कोशिश की जा रही है, ताकि प्रदेश सरकार को कोई आर्थिक नुकसान न हो।
मुख्य न्यायाधीश एए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष सरकार और अदाणी ग्रुप की एक-दूसरे के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
जमा किए रुपये वापस करने का आदेश
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा किए गए 280 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था। इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है। मामले के अनुसार अक्टूबर, 2005 में राज्य सरकार ने 980 मेगावाट की दो हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी पावर के संबंध में निविदा जारी की थी।
मैसर्स ब्रैकेल कारपोरेशन ने सबसे अधिक बोली लगाई थी। इसके बाद मैसर्स ब्रैकेल ने अपफ्रंट प्रीमियम के रूप में 280.06 करोड़ रुपये सरकार के पास जमा करवाए थे। हालांकि, बाद में सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला लिया।
इसके बाद ब्रैकल ने सरकार से पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 को अनुरोध किया था कि अदाणी पावर लिमिटेड के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को अप टू डेट ब्याज के साथ उसे वापस किया जाए।
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