
बंगाणा विकास खंड में 40 वर्षा टैंक, 35 मोक्षधाम, 10 भारत निर्माण सेवा केंद्र निर्माणाधीन
मनरेगा जहां रोज़गार के अवसर प्रदान करने का एक सुलभ साधन बन गया है, वहीं विकास कार्य भी तेज़ी से हो रहे हैं। गांव के विकास और पंचायती राज व्यवस्था को सृदृढ़ बनाने का मनरेगा आधार बन गया है। लोगों को घर के पास ही काम मिल भी रहा है और निर्धारित मजदूरी भी। जिससे गांव में आधारभूत ढांचा मज़बूत करने में सहायता हो रही है।
ऊना जिला के बंगाणा विकास खंड में लगभग 40 वर्षा जल संग्रहण टैंकों का निर्माण किया जा रहा है। इस बारे में खंड विकास अधिकारी सोनू गोयल ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत विभिन्न वरिष्ठ माध्यमिक, उच्च व प्राथमिक स्कूलों में पेयजल के अलावा अन्य कामों के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी के लिए यह वर्षा जल संग्रहण टैंक बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़े संस्थानों में लगभग 60 हज़ार लीटर तथा छोटे संस्थानों में लगभग 30 हज़ार लीटर क्षमता वाले टैंक बनाए जा रहे हैं, जिनका निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। इन्हें बनाने में लगभग 80 लाख रुपए की धनराशि व्यय की जा रही है।
इसके अलावा भी विभिन्न ग्राम पंचायतों में 38 सामुदायिक तालाब तथा 53 व्यक्तिगत फार्म पोंड बनाने का काम प्रगति पर है। इनके निर्माण पर मनरेगा के अंतर्गत 1 करोड़ 67 लाख रुपए खर्च होंगे।
सोनू गोयल ने बताया कि मनरेगा के तहत विभिन्न पंचायतों में एक ही छत्त के नीचे सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से 10 भारत निर्माण सेवा केंद्र बनाने का कार्य ज़ोरों पर है। यह केंद्र बनाने पर लगभग 1 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सेवा केंद्रों के निर्माण से पंचायत स्तर पर लोगों को विभिन्न बैठकों व प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए एक उचित भवन उपलब्ध होगा।
बीडीओ सोनू गोयल ने कहा कि पंचायतों में मनरेगा तथा अन्य मदों के अंतर्गत 35 मोक्षधाम बनाए जा रहे हैं, जिन पर लगभग 1 करोड़ 75 लाख रुपए की धनराशि व्यय की जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले मनरेगा के तहत मोक्षधाम निर्माण की व्यवस्था नहीं थी लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसकी इजाज़त दे दी है। पहले ग्रामीणों को दाह संस्कार करने के लिए नदियों, खड्डों व नालों के किनारे जाना पड़ता था, लेकिन मोक्षधाम बनने के बाद लोगों को एक सुविधा प्राप्त हो पाएगी।
खंड विकास अधिकारी ने बताया कि मनरेगा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल रही है। इस वित्त वर्ष में मनरेगा के अंतर्गत विभिन्न पंचायतों में 20 हज़ार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले वर्ष लगभग 6000 पौधे रोपे गए, जिनमें फलदार पौधे भी शामिल हैं।
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