
शनिवार, 6 अप्रैल से से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 9 दिन यानी 14 अप्रैल तक रहेगी। मौसम परिवर्तन के कारण अनेक रोग हो जाते है। इनसे बचाव के लिए आयुर्वेद में सुबह भूखे पेट नौ दिन नीम रस पिने का विधान है। ये परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है। जो लोग इन दिनों में नीम की कोमल पत्तियों का सेवन करते हैं, वे निरोगी रहते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
संस्कृत में नीम को कहते हैं निम्ब
- शास्त्रों में बताया है नीम का महत्व
संस्कृत में नीम को निम्ब कहा जाता है। शास्त्रों में नीम के बारे में लिखा है कि-
निम्ब शीतों लघुग्राही कटुकोडग्रि वातनुत।
अध्यः श्रमतुट्कास ज्वरारुचिकृमि प्रणतु॥इस श्लोक में नीम से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभ बताए गए हैं। सरल शब्दों में नीम शरीर को शीतलता देता है। नीम हृदय के लिए लाभदायक है। इससे पेट की जलन, गैस, बुखार, अरुचि, कफ, त्वचा संबंधी रोगों में भी फायदा मिलता है। नीम का दातून दांतों और मसूड़ों के लिए बहुत अच्छा रहता है। आयुर्वेद में नीम के उपयोग से कई बीमारियों की दवाएं भी बनाए जाती हैं।
- नीम के रस के फयदे
मुंहासों से मुक्ती नीम में एंटी इंफ्लेमेट्री तत्व पाए जाते हैं, नीम का अर्क पिंपल और एक्ने से मुक्ती दिलाने के लिये बहुत अच्छा माना जाता है। इसके अलावा नीम जूस शरीर की रंगत निखारने में भी असरदार है।
नीम में ऐसी भी क्षमता है कि अगर आपकी रक्त धमनियों(आर्टरी) में कहीं कुछ जमना शुरु हो गया हो तो ये उसको साफ कर सकती है। मधुमेह(डायबिटीज) के रोगियों के लिए भी हर दिन नीम की एक छोटी-सी गोली खाना बहुत फायदेमंद होता है। यह उनके अंदर इंसुलिन पैदा होने की क्रिया में तेजी लाता है।
नीम के रस का फायदा मलेरिया रोग में किया जाता है। नीम वाइरस के विकास को रोकता है और लीवर की कार्यक्षमता को मजबूत करता है।
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