
यही नहीं, मकड़ी की सात नई प्रजातियां भी धौलाधार रेंज में पहली बार मिली हैं। वन्य जीव विभाग के इस सर्वे में हिमाचल समेत 8 राज्यों के विशेषज्ञ शामिल रहे। नई प्रजातियों के मिलने को पर्यावरण की दृष्टि से अच्छा संकेत माना जा रहा है। विभाग अब इनके संरक्षण की योजना बनाने की तैयारी में है।हिमाचल में अमूमन गिद्ध की ग्रीफन प्रजाति पाई जाती है। तीन जिलों में गिद्ध विलुप्त होने की कगार पर हैं। इस साल के कांगड़ा की धौलाधार रेंज में किए सर्वे से विशेषज्ञों को एक नई उम्मीद जगी है। प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी में वनस्पति और पक्षियों पर सर्वे किया गया है।
ऊंचे क्षेत्रों में रहता है मोनाल
10 दिन तक चले इस सर्वे में वन्य जीवों की 60 प्रजातियां दिखी हैं। सर्वे टीम में शामिल रहे वन्य जीव विभाग मंडल हमीरपुर के डीएफओ कृष्ण कुमार ने बताया कि धौलाधार क्षेत्र के सर्वे में मोनाल और गिद्ध की रेड हेडिड प्रजाति को देखा गया है। यह अच्छा संकेत है। सर्वे में आठ राज्यों के 17 विशेषज्ञों सहित 35 लोग शामिल रहे।
मोनाल वर्तमान में उत्तराखंड का राज्य पक्षी है, जबकि नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी है। मोनाल अधिकतर ऊंचे क्षेत्रों में पाया जाता है। धौलाधार रेंज में लोगों की चहल पहल कम होना भी एक कारण है। यहां वन्य जीव सुरक्षित महसूस करते हैं। सर्वे के दौरान टीम को गुराल, बंदर, लंगूर, लोमड़ी और तेंदुए के पैरों के निशान भी मिले हैं।
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