
मैक्लोडगंज : चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ शनिवार को तिब्बत के एक एनजीओ ने मैक्लोडगंज के मेन चौक पर प्रदर्शन किया। तिब्बती एनजीओ एसटीएफ की प्रोग्राम को-आर्डिनेटर टेंजिन पसांग ने इस दौरान चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया। वहीं एक टैंक के सामने तिब्बती नागरिक को खड़ा करके उन्होंने 1989 में चीन द्वारा तिब्बत में किए नरसंहार के बारे में भी लोगों को बताया।
पसांग ने इस दौरान टैंक मेन नाम के पोस्टर भी दिखाए। उन्होंने बताया कि 1989 में चीन द्वारा किए गए नरसंहार को लेकर हर साल जून महीने में शोक मनाते हैं। पसांग ने कहा कि 1989 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा लागू की गई आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ तिब्बत के छात्रों और श्रमिकों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान चीनी सेना ने तिब्बत के लोगों को अपने टैंकों के नीचे कुचल डाला था। उनका कहना है कि आज इस घटना को 33 वर्ष बीत गए हैं लेकिन आजदिन तक चीन का अत्याचार तिब्बत के लोगों के साथ खत्म नहीं हुआ है। पसांग ने कहा कि चीनी सरकार हर चीज में केवल आपना मतलब देखती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देशों को चीन की इन दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
वहीं इस दौरान एसटीएफ के सुंडू ने कहा कि 70 वर्षों से तिब्बत के लोगों ने चीन की दमनकारी नीतियों को सहा है और आज तिब्बत के लोगों की मांग है कि चीन तिब्बत को आजाद कर दे। उन्होंने कहा कि तिब्बत के ऊपर चीन का कब्जा होने के बाद अब चीन भारत पर भी दबाव बना रहा है। सुंडू ने कहा कि तिब्बत में लोग आजादी की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी आवाज को चीन दबा रहा है।
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