
प्रारंभिक शिक्षा विभाग हमीरपुर ने वर्ष 2018 में बैचवाइज अनुबंध के आधार पर तीन जेबीटी शिक्षकों की भर्तियां की थीं। जेबीटी, डीएलएड या ईटीटी समकक्ष व्यावसायिक योग्यता और 12वीं कक्षा में 50 फीसदी अंक, आरक्षित वर्ग के लिए 45 फीसदी अंकों की शर्त रखी थी, लेकिन विभाग ने जिन तीन सामान्य श्रेणी के शिक्षकों को नियुक्तियां दी थीं, उनमें एक ने दो वर्षीय प्री स्कूल टीचर एजूकेशन डिप्लोमा (एनटीटी) का कोर्स किया है। यह जेबीटी के समकक्ष नहीं है। यह योग्यता प्री नर्सरी कक्षाओं के लिए है।
दो अन्य शिक्षकों के 12वीं कक्षा में 40 और 42 फीसदी अंक हैं। तीन साल का अनुबंध पूरा होने के बाद विभाग ने शिक्षकों की नियमितीकरण प्रक्रिया शुरू की तो इस कोताही सामने आई। साक्षात्कार लेने वाली स्क्रीनिंग कमेटी सदस्यों के खिलाफ भी विभागीय जांच बैठा दी गई है। निदेशालय ने प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड से भी जवाब तलब किया है। पूछा है कि बिना जेबीटी डिप्लोमा किस आधार पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) का प्रमाण पत्र जारी किया है।
शेष दो जेबीटी शिक्षकों के नियमितीकरण के मामले में शिक्षा निदेशालय शिमला से क्लेरिफिकेशन मांगी गई है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग हमीरपुर के उपनिदेशक संजय कुमार ठाकुर ने कहा कि बर्खास्त जेबीटी शिक्षक को फिलहाल बहाल कर दिया है। उच्च न्यायालय से अंतिम निर्णय के बाद ही आगामी कार्रवाई की जाएगी। शेष दो जेबीटी शिक्षकों के मामले में निदेशालय से क्लेरिफिकेशन मांगी गई है।
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