
देवी-देवताओं का महाकुंभ अंतरराष्ट्रीय लोकनृत्य कुल्लू दशहरा शुक्रवार से शुरू हो जाएगा। 15 से 21 अक्तूबर तक चलने वाले कुल्लू दशहरे में कोविड नियमों के तहत ही देव संस्कृति के दर्शन हो सकेंगे। सात दिन चलने वाले दशहरा उत्सव में न तो सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और न ही व्यापारिक गतिविधियां और खेलकूद प्रतियोगिताएं होंगी। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर देव समागम का शुभारंभ करेंगे
उत्सव में सिर्फ देवी-देवताओं के रथ व उनके साथ आए हारियान, देवलू, कारकून व श्रद्धालु मौजूद रहेंगे। शुक्रवार को उत्सव में 150 से ज्यादा देवी-देवताओं का भव्य मिलन देखने को मिलेगा। अपराह्न तीन बजे के बाद हजारों लोग भगवान रघुनाथ का रथ खींचकर पुण्य कमाएंगे। कोरोना काल के बावजूद रथयात्रा को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ एकत्रित होने की उम्मीद है। भगवान रघुनाथ के साथ माता हिडिंबा, बिजली महादेव सहित दर्जनभर देवी-देवता रथयात्रा में शामिल होंगे।
गुरुवार सुबह से देवी-देवताओं का कुल्लू के ढालपुर में पहुंचना शुरू हो गया है। शुक्रवार को रथयात्रा से पहले तमाम देवी-देवता भगवान रघुनाथ के सुल्तानपुर स्थित देवालय में जाकर शीश नवाएंगे। देवी-देवताओं को नजराना नहीं मिलने से इस बार दशहरा पर्व में अपेक्षा से कम संख्या में देवताओं के पहुंचने की उम्मीद है।
हालांकि दशहरा समिति ने इस साल रिकॉर्ड 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया है। दशहरा उत्सव में शरीक होने से जिला कुल्लू के खराहल, मनाली, सैंज, आनी, निरमंड, बंजार के देवी-देवता कुल्लू पहुंच गए है। दोपहर बाद भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ढोल-नगाड़ों की थाप पर मंदिर से कड़ी सुरक्षा के बीच रथ मैदान तक लाएंगे। अपराह्न करीब चार बजे के आसपास माता भुवनेश्वरी भेखली का इशारा मिलते ही रथयात्रा शुरू होगी। उपायुक्त कुल्लू एवं दशहरा उत्सव समिति के उपाध्यक्ष आशुतोष गर्ग ने बताया कि दशहरे की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। दशहरे में वही लोग शामिल होंगे, जिन्होंने कोरोना से बचाव की दोनों डोज लगवाई हैं।
वर्ष 1650 में अयोध्या से लाई गई थी रघुनाथ की मूर्ति
वर्ष 1650 में भगवान रघुनाथ की मूर्ति को अयोध्या से लाया गया था और तब से कुल्लू में दशहरा उत्सव का आयोजन होता है। भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाए जाने वाले कुल्लू दशहरा में जिला भर से करीब 300 देवी-देवता शिरकत करते हैं। 371 साल बाद भी दशहरा उत्सव की परंपरा कायम है। अयोध्या से भगवान रघुनाथ की मूर्ति लाने के बाद से जिला कुल्लू के मणिकर्ण, नग्गर के ठावा, हरिपुर और वशिष्ठ में भी दशहरा मनाया जाता है।
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