
पंजाब में जिस प्रकार राजनीतिक शरण पाकर गुंडागर्दी और आतंक का खेल खेला जा रहा है, वह पंजाब को दोबारा 1984 के दौर की तरफ धकेल रहा है। अगर इसपर अंकुश नहीं लगाया गया, तो पंजाब में आतंकी पाकिस्तान की सैय पाकर फिर से सर उठा लेंगे। केंद्र सरकार को तुरंत प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लगातार, जांच करानी चाहिए कि आखिर बो कौन नेता हैं, तो महौल बिगाडऩे का काम कर रहे हैं।
पंजाब में एक ऐसा आतंक का माहौल बनाया जा रहा है, जिसमें कानून व्यवस्था को दरकिनार करके गुंडागर्दी का खेल खेला जा रहा है। बेअदवी के नाम पर दो लोगों की जान लेकर सिर्फ आतंक फैलाकर यह बताने की कोशिश की है कि हम किसी कानून को नहीं मानते, हम खुद निर्णय करेंगे। इनमें खालिस्तान समर्थक नेता और कुछ लोग भी शामिल हैं ।
प्रधान मंत्री के काफिले को बीच सड़क रोक दिया जाता है, और पुलिस खुद दंगाइयों के साथ मिलकर माहौल बिगाड़ने का काम करती है। देश के प्रधान मंत्री को जान से मारने की साजिश रची गई जिसमें सरकार के प्रमुख अंग भी षड़यंत्रकारियों का साथ देते हैं।
एक विचारधारा के लोगों नें किसानों का चोगा ओढ़कर, दूसरी विचारधारा के लोगों की रैली तक नहीं होने दी. फिरोजपुर के चारों तरफ सड़कों को बंद करके रैली में आई गाड़ियों और लोगों से मारपीट की जाती है ताकि दहशत का माहौल बनाया जा सके।
यह पूरा दहशत का माहौल इसलिए कायम किया जा रहा है, ताकि पंजाब में लोकतंत्र का नहीं बल्कि इन दहशतगर्दी करने बालों के नुमाइंदे राज कर सकें। ये लोग धीरे-धीरे इतनी दहशत कायम करना चाहते हैं, जिसमें दूसरी विचारधारा के लोग चुनाव लड़ने तक से डरें . इसमें पाकिस्तान का हाथ भी हो सकता है। मगर देश में, पंजाब में जो लोग, जो नेता पाकिस्तान के इशारे पर माहौल बिगाड़ने का काम कर रहे हैं, उनकी निशानदेही जरूरी है।
फिरोजपुर में प्रधान मंत्री के लिए साजिश रचने की बात इसलिए भी कही जा रही है, क्योंकि सीमा पर सतलुज नदी में पाकिस्तान से आई एक नौका भी मिली है, जिसमें हो सकता है रात के अंधेरे में आतंकी, सीमा में दाखिल होने, में कामयाब हुए हों। ऐसे में कहीं आतंकियों और किसी नेता आ अधिकारी की साजिश तो नहीं, कि काफिला रोककर आतंकी हमला किया जाना था। ऐसा होता, तो पंजाब तुरंत आतंक की आग में झुलस जाता. यह बहुत ही सोची समझी साजिश हो सकती है। पंजाब के मुख्य मंत्री का नदारद रहना , जबकि डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी की फाफिले में महज खाली गाडियां चल रही थी, वह खुद नहीं थे। इसलिए इनपर भी सवाल उठना लाजिमी है।
मगर सबसे पहले केंद्र सरकार को तुरंत राष्ट्रपति शासन लगातार, पंजाब में कानून का राज करना होगा।
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