
मंडी : अपनों की नाराजगी व कांग्रसियों की एकजुटता ने जोगेंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रकाश राणा की मुश्किल बढ़ा दी है। 2017 के चुनाव में विदेश से आकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले प्रकाश राणा ने क्षेत्र की जनता से जोगेंद्रनगर को दुबई जैसा विकसित करने का वादा किया था। प्रकाश राणा ने 2017 का विधानसभा चुनाव आजाद प्रत्याशी के ताैर पर लड़ा था। उनका मुकाबला भाजपा के दिग्गज गुलाब सिंह ठाकुर से हुआ था। कांग्रेस के जीवन ठाकुर तीसरे स्थान पर रहे थे। चुनाव जीतने के बाद प्रकाश राणा ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी। कुछ माह पहले वह भाजपा में शामिल हो गए थे। अपनों की नाराजगी और कांग्रेस की एकजुटता प्रकाश राणा के लिए दो बड़ी चुनौतियां हैं।
नहीं मिल रहा पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर व रामस्वरूप शर्मा परिवार का साथ
पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर व उनकी बहू मेघना ठाकुर भी टिकट की प्रबल दावेदार थी। भाजपा ने दोनों की दावेदारी को दरकिनार कर प्रकाश राणा को टिकट दिया है। मंडल अध्यक्ष पंकज जम्वाल भी दावेदारों में शामिल थे। टिकट न मिलने से गुलाब सिंह ठाकुर नाराज चल रहे हैं। हालांकि वह इन दिनों अस्वस्थ हैं। उनके परिवार का कोई सदस्य अभी चुनाव प्रचार के लिए मैदान में नहीं उतरा है। पूर्व सांसद रामस्वरूप शर्मा के परिवार ने भी दूरी बना रखी है। भाजपा के प्रदेश सहप्रभारी संजय टंडन गत दिनों गुलाब सिंह ठाकुर को मनाने पहुंचे थे, लेकिन बात नहीं बनी थी।
क्षेत्रवाद का मुद्दा भी भारी
चुनाव में क्षेत्रवाद भी बड़ा मुद्दा उभर कर सामने आया है। पिछले चुनाव में प्रकाश राणा को लडभड़ोल क्षेत्र से भारी जनसमर्थन मिला था। विस क्षेत्र में कुल 55 पंचायतें हैं। लडभड़ोल क्षेत्र में 15 पंचायतें आती हैं। इस बार वहां की जनता भी नाराज बताई जा रही है।
कांग्रेस के सुरेंद्र पाल ठाकुर राजनीति के मंझे खिलाड़ी
कांग्रेस पार्टी ने यहां अपने पुराने महारथी सुरेंद्र पाल सिंह को मैदान में उतारा है। वह राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं। हर चुनाव में कांग्रेस पार्टी बिखरी नजर आती थी। इस बार सत्ता में वापसी की उम्मीद से कार्यकर्ता एकजुट होकर मैदान में डटे हुए हैं।
11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में
जोगेंद्रनगर विस क्षेत्र में 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। आजाद चुनाव लड़ने से प्रकाश राणा के साथ पिछले चुनाव में सभी दलों के लोग जुड़ गए थे। इस बार अधिकतर ने घर वापसी कर ली है। भाजपा को यहां सबसे ज्यादा भितरघात का डर सता रहा है। ओपीएस का मुद्दा भी गले की फांस बन रहा है।
पिछले चुनाव में किए थे ये वादे
सड़क व स्वास्थ्य सुविधा का ढांचा सुधारने, उद्योग स्थापित करने, खेल अकादमी व खेल छात्रावास, सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय, पार्किंग, अस्पतालाें में आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवाने की बात कही थी। नागरिक अस्पताल जोगेंद्रनगर में उपकरण तो दूर पांच साल में विशेषज्ञ डाक्टर भी उपलब्ध नहीं हुए। बस डिपो खोल दिया, लेकिन आज वह भी बैजनाथ से संचालित हो रहा है।
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