
हर रोज प्रदेश में कई घटनाएं ऐसी सामने आ ही जाती हैं, जिसमें प्रदेश पुलिस चिट्ठे के साथ युवाओं को पकड़ती है। लेकिन इसके बावजूद कभी आपने सोचा है कि पुलिस नसे के इस कारोबार को लेकर गंभीर क्यों नहीं दिखती…?
पुलिस हर रोज 5 ग्राम, 7 ग्राम चिट्ठे को ही पकड़ती है, इस मात्रा में इसे रखने बाले जरूर इसका प्रयोग करते होंगे, मगर ये खरीदते कहां से हैं, कभी उन तक पुलिस क्यों नहीं पहुंचती..?
इसका सबसे बड़ा कारण है, पुलिस अधिकारी… वास्तव में पुलिस को मीडिया में हिट होने की ऐसी जल्दी होती है, कि फटाफट फोटो खींचकर, मीडिया तक पहुंचा दिए जाते हैं. अधिकारी, इन छोटे छोटे मामलों को पकड़कर ऐसे दिखाना चाहते हैं, जैसे कोई बड़ी जंग जीत ली हो..
जैसे ही खबर मीडिया में आती है, चिट्ठे के बड़े कारोबारी, चौकन्ना हो जाते हैं, और पुलिस चाहकर भी उनसे नसे का सामान बरामद नहीं कर पाती..
आखिर क्यों पुलिस, बड़े नसा कारोबारियों तक पहुंचने से पहले ही, मामले को मीडिया से शेयर करती है…?
आखिर पुलिस क्यों नसे के बड़े कारोबारियों को पकड़ ही नहीं पा रही..?
आखिर क्यों विभाग, पोस्टरों के जरिए संदेश देकर ही संतुष्ट हो जाता है, कि अब खुद ही नसे पर रोक लग जाएगी..?
आखिर जांच होने से पहले ही, कैसे खबर मीडिया में पहुंचा दी जाती है…?
कहीं मीडिया के जरिए खबर पहुंचाकर, नसा कारोबारियों को, जानबूझकर तो चौकन्ना नहीं किया जा रहा..?
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