शिमला : देवभूमि हिमाचल के अस्पतालों में पेट और इससे संबंधित बीमारियों की जांच को लेकर आने वाले मरीजों में 20 प्रतिशत में फैटी लीवर पाया जा रहा है। चौंकाने वाली बात ये है कि नशे की चपेट में आ रहे युवाओं में हेपेटाइटिस ई यानी काला पीलिया पाया जा रहा है। वर्ष 2018 से पहले काला पीलिया का महीने में एक मामला आता था, लेकिन अब एक सप्ताह में तीन से चार मरीज आ रहे हैं।
बासा खाना, ज्यादा तेल व घी और पैक्ड फूड लीवर के लिए बहुत बड़ा खतरा है, जो लोगों के लिए बीमारियों का घर बना रहा है। शराब के बाद दूसरे केमिकल नशे लीवर को खराब करने का सबसे बड़े कारण के तौर पर सामने आ रहे हैं। लोगों की बदलती दिनचर्या और पैक्ड फूड में पड़ने वाले केमिकल सीधे तौर पर लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं और अन्य बीमारियों के भी कारण बनते हैं।
लीवर रक्त से विषैले पदार्थों को निकालने का काम करता है। इस कारण यह बीमारियों को दूर करने में सहायक है। लीवर शुगर व रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
हेपेटाइटिस के होते हैं पांच प्रकार
हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है। इनमें ए,बी,सी,डी और ई शामिल है। हेपेटाइटिस ए व ई वायरस दूषित भोजन व दूषित पानी के कारण होता है। ये एक संक्रामक व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है। हेपेटाइटिस-बी, सी व डी गर्भवती मां से बच्चे, असुरक्षित यौन संबंध, एक ही सीरिंज, रेजर और टूथ ब्रश को कई लोगों द्वारा इस्तेमाल करने और दूषित रक्त को चढ़ाने से होता है।
लौंग, दालचीनी पपीता व हरा धनिया करता है लीवर को साफ
लौंग, दालचीनी, हरा धनिया व पपीता लीवर को साफ करने का काम करता है। एक लौंग और एक चौथाई छोटा चम्मच दालचीनी लीवर की सफाई करता है। लीवर के लिए मूली का अचार, हरी सब्जियां, चिरायता बहुत लाभदायक है। लीवर को स्वस्थ रखने के लिए दो से तीन लीटर पानी प्रतिदिन पीएं।
यह आवश्यक है
- लीवर को स्वस्थ रखने के लिए दो से तीन लीटर पानी प्रतिदिन पीएं
- नींबू का रस पित्त की उस उत्पत्ति में सहायक होता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होता है
- रेशायुक्त फलों व सब्जियों का सेवन
- कैफीन वाले पेय पदार्थों का कम इस्तेमाल
- लहसुन में एलिसिन व सिलेनिसम पाए जाते हैं जो लीवर को विषाक्त पदार्थों के कारण होने वाले नुकसान से बचाते हैं
- लौकी, हल्दी, धनिया, गिलोय और सेंधा नमक वाला जूस लाभदायक
आईजीएमसी के गेस्ट्रोएंट्रोलोजी यानी पेट के रोग से संबंधित विभाग में फैटी लीवर की जांच के लिए फाइब्रो स्केनर लगाया गया है। इससे तुरंत पता चल जाता है और बेहतर उपचार उपलब्ध है। गेस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग के प्रोफेसर डा. राजेश का कहना है, “तेल और घी का ज्यादा सेवन और फास्ट फूड फैटी लीवर का कारण बन रहा है। हेपेटाइटिस ई यानी जिसे काला पीलिया भी कहते हैं नशे के सेवन के कारण ऐसे मामले ज्यादा आ रहे हैं। बेहतर स्वास्थ्य के लिए लीवर का स्वस्थ होना आवश्यक है।”
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