सोलन : हिमाचल प्रदेश में लंपी वायरल से गायों को अपना शिकार बनाया था। अब स्तिथि पहले से बेहतर हो रही है। जिला सोलन में पशुओं में फैले लंपी रोग को लेकर राहत की खबर है। जिला सोलन अब लंपी वायरस से मुक्त हो गया है।
लंपी वायरस के मामलों ने प्रदेश में गौवंश को अपना शिकार बनाया है, हजारों की संख्या में पशु इसकी चपेट में आए। सोलन जिला में भी अगस्त माह में लंपी वायरस का मामला सामने आया था, लेकिन आज जिला में एक भी लंपी वायरस का मामला सक्रिय नहीं है।
सोलन में लंपी ने बरपाया था कहर
अगस्त 2022 माह में जिला सोलन में पहला मामला सामने आया था। पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिला में अब तक 18500 पशु लंपी वायरस से ग्रसित हुए, जिसमें से 1650 पशुओं की मौत हो चुकी है और बाकी पशु जिला में ठीक हो चुके हैं। लंपी वायरस का मामला जैसे ही जिले में सामने आया था उसको लेकर पशुपालन विभाग अलर्ट हो गया था। प्रशासन ने तुरंत एक्शन लेते हुए वैक्सीनेशन प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया।
वैक्सीनेशन से लंपी पर लगी लगाम
सोलन में लंपी वायरस के कहर को कम करने के लिए प्रशासन ने तुरंत एक्शन लिया। समय-समय पर वैक्सीनेशन किए जाने पर जिला में अब इस वायरस पर नियंत्रण पाने में विभाग कामयाब रहा है। बीते एक सप्ताह से जिला में कोई भी लंपी वायरस का मामला सामने नहीं आया है। लंपी से बचाव को लेकर विभिन्न शिविरों का आयोजन पशुपालन विभाग द्वारा किया गया और रैपिड रिस्पांस टीमें भी जिला में बनाई गई।
अब तक 65 हजार पशुओं की वैक्सीनेशन
जिला में लंपी वायरस के मामलों पर रोकथाम लगाने के साथ-साथ जिला में पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं का वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है। जागरूकता शिविर आयोजित करने के साथ-साथ अब तक रेड कारपेट वैक्सीनेशन बॉर्डर एरिया पर विभाग द्वारा की जा चुकी है, जिसमें बॉर्डर पर सभी पशुओं का वैक्सीनेशन किया जा चुका है। सोलन में अब तक 65 हजार पशुओं की वैक्सीनेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
एक सप्ताह से नहीं आए लंपी के मामले
अब तक जिला में 65000 पशुओं का वैक्सीनेशन विभाग कर चुका है और आगामी दिनों में भी यह कार्य जारी रहने वाला है। पशुपालन विभाग सोलन के उपनिदेशक डा. बीबी गुप्ता ने बताया कि जिला सोलन में अब पिछले एक सप्ताह से एक भी मामला लंपी वायरस का नहीं आया है। लंपी वायरस को लेकर अब तक 65 हजार पशुओं का वैक्सीनेशन किया गया है। लंपी ने जिला में किसानों को बहुत नुकसान पहुंचाया व करीब 1650 पशुओं की मौत हो चुकी है।
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