चंबा : पहाड़ों पर लगातार हो रहे विकास कार्यों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पहाड़ों पर हो रही खुदाई और प्रोजेक्ट्स के चलते पहाड़ों के दरकने का खतरा लगातार बढ़ रहा है। अभी उत्तराखंड का जोशीमठ इसी त्रासदी से गुजर रहा है, इसी बीच हिमाचल प्रदेश में भी लोगों को ये भय सताने लगा है।
पिछले कई दिनों से चंबा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश के बाद अब दो दिनों से मौसम साफ चल रहा है, लेकिन जिला के विभिन्न क्षेत्रों में भूस्खलन व पहाड़ी दरकने की खतरा बढ़ गया है।
दिन-रात की बारिश-बर्फबारी से सड़क मार्गों के अलावा कई स्थानों पर पत्थर गिरने लगे हैं। इसके साथ ही बर्फीले क्षेत्रों में बर्फ से लदे जंगलों में पेड़ व दरख्त गिरने का भी भय बन रहा है। जिससे लोग अपने आप को घरों से बाहर महफूज नहीं पा रहे हैं।
चंबा में चल रहे कई प्रोजेक्ट
चंबा जिले के ज्यादातर क्षेत्र पहाड़ी है, ऐसे में पहाड़ियों को खोदकर बनाई गई सड़कों के अलावा यहां बने व निर्माणाधीन पावर प्रोजेक्ट उक्त क्षेत्र से लगती जमीन का कुछ भाग पहले से ही नाजुक हो गया है। निर्माण कार्य के दौरान हो रही अंधाधुंध ब्लास्टिंग व खुदाई से इसके दायरे में आने वाली जमीन भी हिल रही है। लगातार हो रही बारिश-बर्फबारी से ऐसे स्थानों पर भूस्खलन के साथ कई मार्गों पर भी पत्थर गिरने का लगातार खतरा बढ़ रहा है। खराब मौसम के चलते काम के लिए जाने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
भूस्खलन ने बढ़ाई समस्या
भले ही दो दिनों से चंबा में मौसम साफ रहने से चटक धूप खिल रही है,लेकिन इस बीच भी कई जगह पहाड़ी दरकने के साथ भूस्खलन हो रहा है। मंगलवार को भी चंबा तीसा मार्ग पर तीन स्थानों पर काफी मात्रा में भूस्खलन व पहाड़ी दरकने से यातायात व्यवस्था प्रभावित रही। चंबा सुंडला सलूणी मार्ग पर भी धरागला के पास हुए भूस्खलन से बसें चंबा नहीं पहुंच पाई। भूस्खलन के चलते चंबा साहो मार्ग तीन से चार घंटे बाधित रहा।
इसके अलावा भी कई लिंक मार्ग भूस्खलन के चलते अभी भी बंद हैं। उधर, जिला प्रशासन ने बारिश व बर्फबारी के दिनों में लोगों को बिना किसी काम के घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी है। इसके अलावा बारिश बर्फबारी के बाद मौसम साफ होने पर भी किसी तरह के कार्य को लेकर जा रहे लोगों व वाहन चालकों को एहतियात बरतने के निर्देश दिए जा रहे हैं, ताकि किसी अनहोनी का खतरा पैदा न हो।
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