सोलन : टायफाइड को रोकने वाली वैक्सीन का सैंपल फेल हो गया है। केन्द्रीय दवा नियंत्रक मानक नियंत्रण संगठन (सी.डी.एस.सी.ओ.) ने अलर्ट जारी किया है। सी.डी.एल. कसौली में जांच में वैक्सीन का सैंपल निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरा है। यह वैक्सीन बच्चों में टायफाइड बुखार को रोकने के लिए लगाई जाती है जिससे बच्चों में टायफाइड से बचने के लिए एक सुरक्षा कवच तैयार होता है। सी.डी.एस.सी.ओ. की जानकारी के अनुसार भारत बायोटैक इंटरनैशनल लिमिटेड हैदराबाद तेलंगाना की टायफाइड पोलीएच्चरिडे वैक्सीन (टाइपबार) का बैच नम्बर 54ए22001ए का सैंपल फेल हो गया है। सी.डी.एल. कसौली वैक्सीन की जांच की एक मात्र प्रयोगशाला है। कोरोना वैक्सीन से लेकर टायफाइड, यैलो फीवर, डी.टी.पी., रोटावायरस, बी.सी.जी. वैक्सीन टैटनस वैक्सीन, टी.डी. वैक्सीन, स्नैक वेनम सहित कई अन्य वैक्सीन के 2019 बैच सी.डी.एल. में जांच के मानकों पर खरे उतरने के बाद रिलीज हो गए हैं। सैंपल पास होने के बाद अब ये वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होंगी।
सी.डी.एल. कसौली में इस वर्ष कोरोना सहित 3 बीमारियों के सैंपल फेल हो गए हैं। बच्चों में होने वाले दिमागी बुखार से बचाव करने वाली मेङ्क्षनगोकोकल पोलीसच्चराइड वैक्सीन का सैंपल भी फेल हो चुका है। इसके बाद कोरोना वैक्सीन व टायफाइड वैक्सीन का एक-एक सैंपल फेल हो गया है। वर्ष 2022 में कोरोना वैक्सीन के 3 व रोटावायरस वैक्सीन का एक सैंपल फेल हुआ था जबकि वर्ष 2021 में कोराना वैक्सीन के 2 व रैबीज वैक्सीन का एक सैंपल फेल हुआ था। 2019 में देश में बनाई जा रही वैक्सीन के उत्पादन पर सवाल खड़े हो गए। उस वर्ष देश में बनी वैक्सीन के 30 सैंपल फेल हुए थे। पोलियो के बचाव में इस्तेमाल होने वाले बी.ओ.पी. वैक्सीन के सबसे अधिक 25 सैंपल फेल हुए थे।
इसी तरह टी.टी. वैक्सीन, टायफाइड व रैबीज वैक्सीन का एक-एक सैंपल फेल हुआ और मेनिंगोकोकल वैक्सीन के 2 सैंपल फेल हुए थे। वर्ष 2018 में 17 वैक्सीन के सैंपल फेल हुए थे। उस वर्ष सांप के काटने पर लगने वाले स्नैक वेनम एंटीसिरम के सबसे अधिक 9 सैंपल, टायफाइड व बी.ओ.वी. वैक्सीन के 2-2, टी.टी. वैक्सीन, डिफथेरिया एंटीटॉक्सीन व पेंटावेलेंट वैक्सीन का 1-1 सैंपल फेल हुआ। वर्ष 2013 से वैक्सीन के सैंपल फेल होने का क्रम जारी है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में वैक्सीन के सैंपल फेल होने के मामलों में भारी गिरावट देखने को मिली जबकि दूसरी ओर दवाओं के सैंपल फेल होने के मामलों में लगातार बढ़ौतरी हुई है।
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