तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार (परस राम भारती):- हिमाचल प्रदेश में जिला कुल्लु की तीर्थन घाटी पर्यटन के क्षेत्र में एक उभरता हुआ नाम है। विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और टॉउट मछली के महशूर तीर्थन घाटी का प्राकृतिक सौन्दर्य आजकल अपने चरम पर है। इस समय पुरी तीर्थन घाटी में कई तरह के फल फूल पके और खिले हुए हैं। आजकल यहाँ के पहाड़ों ने भी हरा रंग धारण करना शुरु कर लिया है और नदियों, नालों, झरनों ने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी है। सुबह सवेरे चिड़ियों की चरचराहट से पुरी घाटी मंत्र मुग्ध हो जाती है। मानो प्रकृति ने इस समय धरती पर अपनी अनुपम छटा विखेर दी हो।
कुल्लू जिला के उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी का मनमोहक सौन्दर्य एवं शान्त नजारा देशी विदेशी पर्यटकों, घुमक्कड़ों, अनुसंधान कर्ताओं, प्राकृतिक प्रेमियों व ट्रैकरों को स्वत: ही अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इस घाटी को कुदरत ने कुछ इस कदर सँवारा है कि आप कहीं भी जाइए एक बार जो इसकी झलक पा ले वह बार बार यहां आना चाहता है। यहां का अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य, प्रदुषण मुक्त वातावरण, ऊँचाइयों की ओर जाती टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियाँ, ऊँचे पहाड़ों और घने जंगलों से गुजरती घुमावदार सर्पीली सड़कें, दूर शिखर पर वृक्षों की आगोश में बसे छोटे छोटे गांव इस घाटी की सुन्दरता को चार चाँद लगाते है।
तीर्थन घाटी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के इको जॉन में स्थित प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज शर्ची, जमाला और बाड़ासारी की वादियां अब पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनती जा रही है। यहां की स्थानीय ग्राम पंचायत शरची कई दशकों इंतजार के बाद अब सड़क सुविधा से जुड़ चुकी है। भाग्य रेखा कही जाने वाली सड़क की वजह इस पंचायत के अधिकांश गांव वुशेहरी, बन्दल, बसौरी, झुटली, वाड़ीगाड़, शलवाड, शरची और जमाला आदि गांववासियों के भाग खुल गए है। हालांकि यह इलाका कुछ वर्ष पूर्व ही सडक सुविधा से जुड़ा है मगर यहां के लोगों को अभी तक इस सुविधा का भरपुर लाभ नहीं मिल पा रहा है।
गुशैनी के नगलाड़ी पुल से इस सड़क की कुल लम्बाई लगभग 18 किलोमीटर पड़ती है। बरहाल शरची तक पहुंची सड़क ने यहां से खूबसूरत स्थल लाम्भरी जोत, सकीर्ण कण्डा तथा अन्य दर्शनीय स्थलों के ट्रैक रूट्स को काफी सुलभ कर दिया है। जैसे जैसे घाटी में सड़कों का विस्तार हो रहा है वैसे वैसे ही यहां की हसीन वादियों में पर्यटकों की आवाजाही साल दर साल बड़ती जा रही है। ऐसे ही अब शरची ,जमाला, बाड़ासारी और लाम्भरी जोत जैसे खूबसूरत स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है। यहां की वादियों के नजारे कुछ हट कर है जो पर्यटकों की पसंदीदा सैरगाह बनते जा रहे है। शरची जमाला और बाड़ासारी की खूबसूरती बेजोड़ है, यहां के सुदूर नजारे, प्राचीनतम कला संस्कृति व भोला भाला जन मानस या यूं कहें कि यहां का चप्पा चप्पा पर्यटकों को लुभा रहा है। इससे बड़ी बात यह है कि अतिथि देवो भव की मिसाल पर शरची भी अब विश्वभर के सैलानियों की मेजबानी के लिए तैयार हो रहा है बेशक इन स्थलों को अभी तक पहचान की दरकार है। लेकिन जब भी यहाँ सैलानियों के कदम पड़े तो जो सुकून उन्हें यहां मिलता है उसे वह जीवन के सुखद लम्हों में संजोता है। यदि कोई पर्यटक एक बार इस इस घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य की झलक साक्षात कर लें तो उसका यह मिथक टूट जाएगा कि हिमाचल प्रदेश का सौन्दर्य शिमला , मनाली, चम्बा और काजा जैसे विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थलों तक ही सिमटा हुआ है।
तीर्थन घाटी के शरची जमाला की वादियां घाटी के प्रमुख दर्शनीय व रमणीक स्थलों मे से एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल है। यहां पर चारों ओर वृक्षों से ढकी ऊँची पर्वत शृंखलाएँ, कई थाच, चारागाह व खेत खलिहान यहाँ के नजारे को और भी खूबसूरत और रमणीक बनाते है। गर्मियों के मौसम मे यहां खूब हरियाली और सर्दियों के मौसम में शरची जमाला सहित आसपास के क्षेत्र बर्फबारी से लक दक रहते है जो यहां के नजारे को और भी लुभावना और मनमोहक बनाते है।
यहां पर ग्रामीण इको टूरिज्म और साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं है। यहां पर आसपास घुमने फिरने के लिए अनेकों दर्शनीय स्थल व ट्रैकिंग रूट्स उपलब्ध है। यहां पर ट्रैकिंग के दौरान विभिन्न ट्रैकिंग रूट्स मे आगे बड़ते हुए जैजू राणा, मोनाल, कोकल्स, चैहड़, जंगली भालू तथा अन्य वन्य प्राणियों एवं परिन्दों के दीदार आसानी से हो जाते है।
तीर्थन घाटी के शरची जमाला पहुँचने के लिए घाटी के केन्द्र गुशैनी नगलाड़ी पुल से दाईं ओर से सड़क जाती है। यह सड़क मार्ग देवदार के ऊँचे व घने दरख़्तों के बीच तथा खेत खलियानों व बागानों से हो कर गुजरते हुए शरची जमाला तक पहुंचती है।
शरची आसपास के खूबसूरत स्थलों का भ्रमण करने के लिए 1 दिन से लेकर 5 दिन तक कई ट्रैकिंग रूट्स उपलब्ध है। शरची से जमाला व बड़ासारी होते हुए करीब ढाई से तीन घंटे पैदल सफर करते हुए लाम्भरी व सकीर्ण जोत तक आसानी से पहुँच सकते है। शरची से लाम्भरी व सकीर्ण पहुंचने के लिए दो अलग अलग मार्ग है जो दोनों मार्ग कई नालों, थाचों व चारागाहों से होकर गुजरते है। शरची से एक ओर जमाला बड़ासारी, धर्माच थाच, लुहारथा व जाजर नाला होकर लाम्भरी जोत तक पहुंचा जा सकता है जबकि दूसरी ओर अन्य मार्ग द्वारा शरची से सिन्धोथाच, बशैडी थाच व निओं थाच से होकर सकीर्ण कण्डा पहुंचा जा सकता है। इसके साथ ही लाम्भरी जोत से एक ओर परवाड़ी, शिली गरुली होकर बशलेउ जोत से वठाड़ तक ट्रैकिंग की जा सकती है तथा यहीं से दूसरी ओर सरेउलसर झील और जलोड़ी पास व रघुपुर गढ़ लिए भी ट्रैक रूट्स मौजूद है। वहीं सकीर्ण कण्डा से एक ओर वशीर, चैहनी व जीभी घ्यागी तक ट्रैकिंग कर सकते है तथा यहीं से दूसरी ओर सरेउलसर झील व जलोड़ी पास की तरफ आसानी से पहुंच सकते है। लाम्भरी से हिडव सजवाड़ का इलाका तो बहुत ही नजदीक पड़ता है।
तीर्थन घाटी के शरची जमाला की रँगीन व हसीन वादियों को ग्रीन वैली और क्लीन वैली के नाम से भी जाना जाता है। बैसे अमूमन यहाँ के जंगलों में बारह मास ही हरियाली दिखती है। यहां पर सभी मकान पहाड़ी वास्तुशिल्प काष्ठकुन्नी शैली में बने हुए है जो सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए है। शर्ची गांव के बीच में माता गाड़ा दुर्गा और जमलू देवता के प्राचीन भव्य मन्दिर तथा एक बड़ा मैदान भी है। इस गांव में प्रति वर्ष अनेकों सांस्कृतिक मेलों का आयोजन होता है जिसमें अप्रैल माह में मनाया जाने वाला पड़ेई उत्सव प्रमुख है।शरची में पर्यटकों को ठहरने के लिए कुछ निजी होमस्टे पर्यटन विभाग द्वारा पंजिकृत किए जा चुके है जबकि कुछ स्थानीय युवा पर्यटकों को ठहरने के लिए कैम्पिंग और होमस्टे तैयार कर रहे है।
जिला कुल्लू में ग्रामीण पर्यटन स्थल के रुप में उभरते हुए इस खूबसूरत स्थान पर मूलभुत सुविधाओं का अभाव है। जीरो प्वाइंट नगलाडी से लेकर आखरी बस स्टॉप तक इस सड़क की खस्ताहलात बनी हुई है। गड्ढों से भरी इस सड़क पर सैलानियों के वाहन रिस्क लेकर ही पहुंचते है। पीने के पानी की व्यवस्था और सुलभ शौचालय तो अभी दूर की बात है। अगर सरकार की नजरें इनायत हुई तो शरची सैलानियों के लिए एक बेहतर पड़ाव के साथ साथ शीतकालीन खेलों और साहसिक पर्यटन का केन्द्र बन सकता है। जिससे इस घाटी के पर्यटन को पंख लगेंगे और यहां के स्थानीय युवाओं को उनके घर द्वार पर ही रोजगार के अवसर मिलेंगे।
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