अधिक तापमान सह सकेगी आलू की नई प्रजाति ‘कुफरी किरण’, किसानों के लिए होगी ज्यादा फायदेमंद
February 4th, 2023 | Post by :- | 40 Views

शिमला। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआइ) शिमला ने आलू की नई प्रजाति ‘कुफरी किरण’ तैयार की है। इसे अधिक तापमान यानी गर्मी के मौसम या गर्म क्षेत्रों में उगाया जा सकेगा। अधिक तापमान वाले प्रदेशों के लिए यह बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। आलू के कंद बनने के लिए रात्रि का तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए, जबकि यह अधिक तापमान में कंद तैयार करने में सक्षम है।

यह अन्य किस्मों की तरह 25 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने वाली है। ज्यादा गर्मी के कारण कई क्षेत्रों में आलू नहीं उगाया जा सकता है, लेकिन अब गर्म क्षेत्रों में इस नई किस्म को लगा सकेंगे। सीपीआरआइ ने इसे स्वीकृति दे दी है। अब यह किसानों के उगाने के लिए तैयार है। यह किस्म 100-120 दिन में तैयार हो जाती है।

आकार नहीं होगा प्रभावित

मैदानी क्षेत्रों में आलू के कंद को अधिक गर्मी पड़ने से पहले ही निकाल लिया जाता है, क्योंकि ज्यादा गर्मी में आलू के कंद का आकार प्रभावित होता है। देर से आलू की फसल उगाने और गर्मी पड़ने की स्थिति में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। कुफरी किरण को गर्मी में अधिक समय तक रखने पर भी कंद प्रभावित नहीं होगा और किसान को इसका लाभ होगा।

ऐसे तैयार होती है नई किस्म

आलू की नई किस्म को तैयार करने के लिए आठ से 10 वर्ष का समय लग जाता है। इसके लिए आलू की किस्म की क्रास ब्रीडिंग की जाती है और उसमें पाए जाने वाले तत्वों की जांच की जाती है। निर्धारित मापदंडों पर सही उतरने पर नई किस्म को जारी किया जाता है।

सात केंद्रों में जांच

आलू की नई किस्म कुफरी किरण को सीपीआरआइ के देशभर में छह केंद्रों में लगाकर जांचा गया है। जिन गर्म प्रदेशों में कृषि विज्ञान केंद्र हैं, वहां भी इस आलू बीज की जांच की गई है।

दक्षिणी राज्यों में तैयार होगा आलू का बीज

कुफरी किरण आने से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु व गोवा में भी बीज आलू तैयार किया जा सकेगा। हालांकि, बीज आलू सीपीआरआइ के अलावा आलू उत्पादक संघ और कंपनियां तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाएंगी। ऐसे में आलू बीज पर परिवहन खर्च भी कम होगा।

आलू की कुफरी किरण किस्म कई वर्षों के प्रयासों का परिणाम है। यह ज्यादा गर्मी सहन करने की क्षमता रखती है। ऐसे राज्य जहां पर ज्यादा गर्मी के कारण आलू पैदा नहीं किया जाता है। वहां पर भी अब आलू की पैदावार हो सकेगी। -डा. ब्रजेश सिंह, निदेशक, सीपीआरआइ शिमला

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