शिमला : राज्य में आपदा प्रभावित परिवारों को नि:शुल्क एलपीजी कनैक्शन और नि:शुल्क राशन उपलब्ध करवाने की योजना शुरू की गई है और पात्र लाभार्थी इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अधिकारियों को इसके प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं ताकि प्रभावित परिवार अपने उचित अधिकारों से वंचित न रहें। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम सीमित के निदेशक मंडल की 173वीं बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रभावित परिवारों को एलपीजी सिलैंडर, प्रैशर रैगुलेटर, हॉट प्लेट व सुरक्षा पाइप सहित एलपीजी घरेलू रिफिल और ब्लू बुक की लागत सहित सभी संबंधित सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
31 मार्च, 2024 तक प्रदान की जाएगी सुविधा
सीएम ने कहा कि राज्य सरकार इन प्रभावित परिवारों को नि:शुल्क राशन भी उपलब्ध करवा रही है जिसके अंतर्गत राशन पैकेज में 20 किलो आटा, 15 किलो चावल, 3 किलो दाल, 1 लीटर सरसों का तेल, 1 लीटर सोया रिफाइंड तेल, 1 किलो डबल फोर्टिफाइड नमक और 2 किलो चीनी शामिल है। उन्होंने कहा कि नि:शुल्क राशन की यह सुविधा 31 मार्च, 2024 तक प्रदान की जाएगी। इससे प्रभावितों को मूलभूत खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित होगी। सुक्खू ने कहा कि राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 1955 करोड़ रुपए का कुल कारोबार किया है और 87 लाख रुपए का लाभ अर्जित किया है।
निगम को पूरी तरह से डिजिटल बनाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निगम को पूरी तरह से डिजिटल, वाणिज्यिक और पेशेवर इकाई बनाने और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एफएमसीजी उत्पादों की खरीद के लिए निगम को गोदरेज और बजाज जैसी अग्रणी कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित करने चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिल सकें।
स्वास्थ्य संस्थानों में 52 नई उचित मूल्य दवाओं की दुकानें खोलने के निर्देश
सीएम सुक्खू ने निगम से मरीजों की सुविधा के लिए और उन्हें उचित दरों पर दवाएं और अन्य सर्जिकल उपकरण उपलब्ध कराने के लिए राज्य भर के विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में 52 नई उचित मूल्य दवाओं की दुकानें खोलने के लिए भी कहा ताकि मरीजों को गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध करवाई जा सकें।
कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे [email protected] पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।