कुल्लू : महाराजा कोठी के कमांद गांव में देवता नारायण और देवता पराशर का पारंपरिक देव मेला धूमधाम से संपन्न हुआ। मेले में शुक्रवार सुबह देवता के प्रांगण मे 30 फुट ऊंची मशालोंं से जाग जलाई गई। जाग में आग जलाने के पश्चात इसके चारों ओर देवता की गुर द्वारा देव खेल का कार्यक्रम चलता है। देवता नारायण को सिर पर और देवता पराशर का रथ कंधे पर उठाया जाता है। देवता पराशर और देवता नारायण के लोग बीड़ी, तम्बाकू व शराब का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इन गांवों के घरों में तंबाकू ले जाने वालों को दंड भुगतना पड़ता है। लोग देवता के डर से बीड़ी-तंबाकू छूते तक नहीं हैं। 5 वर्ष पूर्व देवताओं ने मेले में शराब पर पाबंदी लगाई थी जो अब तक सफलतापूर्वक चल रही है।
देवता के पुजारी बृजलाल ठाकुर ने बताया कि सिंधार नामक का राक्षस को देवता पराशर ने पराजित किया था। उसके उपलक्ष पर इस मेले का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि राक्षसी शक्तियों को हीन करने के लिए इस मेले का आयोजन किया जाता रहा है तथा ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि इस मेले में खड़ीहार, वाराहार व मोहल क्षेत्र के लोग शिरकत करते हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान मुथल, करेरी, खलोगी कमांद के लोग रात को 1 बजे के करीब मशालें जलाकर व अश्लील जुमले गाकर कमांद पहुंचते हैं। अश्लील जुमलों से असुरी शक्तियां क्षीण हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि यह मेला देवता नारायण और पराशर के सम्मान में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि सुबह 4 बजे के करीब देवते के प्रागण में जाग को जलाया जाता है। उन्होंने कहा कि कमांद गांव के लोग लकड़ियां इकट्ठा करते हैं और उन्हें खड़ा किया जाता है जोकि 25 से 30 फुट के करीब होती हैं और मशालों के साथ देवता नारायण का गुर उन्हें जलाता है। इस दौरान देवता के गुर देव खेल करते हैं और दोनों देवता के रथ जाग के चारों ओर हुलकी करते हैं।
कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे [email protected] पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।