शिमला : भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान को अब समरहिल व निचली समरहिल के लिए सड़क से जाने वाली बसें और सड़कों से मलबा उठा रहे वाहनों से भी परिसर को खतरा दिखने लगा है। इन बसों की आवाजाही को बंद करने के लिए संस्थान के प्रबंधन की ओर से शिमला पुलिस को पत्र लिखा है। इस पत्र में साफ तौर पर सम्रल और समृद्ध के लिए चल रही बसों के अलावा यहां से उठाए जा रहे मलबे और बसों के दौड़ने से इस भवन के आसपास के परिसर से पत्थर गिरने की आशंका बन रही है। इसे देखते हुए भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के प्रबंधन ने शिमला पुलिस को पत्र लिखा है।
बसों का संचालन बंद करने के लिए पुलिस को लिखा पत्र
इस पत्र में कहा गया कि यहां से बसों का संचालन बंद किया जाए, जिससे इस ऐतिहासिक भवन को बचाया जा सके। सड़क और इसके आसपास से मलबा उठाने का जो काम किया जा रहा है, इसे हटाने के लिए भी कुछ और समय तक इंतजार करने की बात कही हैं। इस पत्र में पुलिस प्रशासन से आग्रह किया है कि इसे वैसे ही रहने दिया जाए जिससे कुछ समय बाद जब यह स्थिर हो जाए। इसके बाद ही इसे हटाया जाए । इसमें तर्क दिया जा रहा है कि यदि नीचे गिरा हुआ मलबा हटाया जाएगा तो इससे नुकसान की और आशंका आने वाले समय में हो सकती है। साथ ही बसों के सड़क पर दौड़ने से भी पत्थर गिर रहे हैं। इससे नुकसान ओर ज्यादा होने की नौबत आ सकती है।
भूस्खलन से हो चुकी 20 लोगों की मौत
बता दें कि 14 अगस्त को शहर को सबसे ज्यादा नुकसान एडवांस स्टडी यानी कि भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के परिसर में हुए भूस्खलन से हुआ है । ये भूस्खलन पूरे जंगल से होते हुए रेलवे के डंगों को साथ लेते हुए शिव मंदिर पर जा पहुंचा। यहां पर 20 लोग पूजा अर्चना के लिए सुबह ही पहुंच चुके थे। इन सभी 20 लोगों को मलबे के नीचे दबकर जान गंवानी पड़ी।
संस्थान ने स्थानीय प्रशासन और केंद्रीय मंत्रालय को भेजा पत्र
डीएसपी शिमला अजय भारद्वाज ने माना कि एडवांस स्टडी प्रबंधन की ओर से बसों के संचालन को बंद करने की मांग को लेकर पत्र मिला है। बारिश को दौरान बसें यहां नहीं चलेगी, सामान्य स्थिति में बसों का आवाजाही जारी रहेगी। बॉक्स अभी तक मूल रूप से सुरक्षित हैं। पूरा भवन अभी तक उच्च अध्ययन संस्थान के मूल भवन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। इसके परिसर को काफी क्षति पहुंची और इसे नुकसान होने की आशंका आने वाले समय में हो सकता है। इसको लेकर भी एक पत्र उच्च अध्ययन संस्थान प्रबंधन की ओर से पहले ही स्थानीय प्रशासन और केंद्रीय मंत्रालय को पत्र भेजा जा चुका है। इसमें साफ तौर पर भवन को आने वाले समय में खतरे की बात कही हैं।
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