शिमला : कोविड के दौर में रखे गए कोविड वॉरियर्ज हर 3 माह बाद सड़कों पर आने से आहत हैं और आखिरकार मांगें पूरी न होने से उनका गुस्सा फूट पड़ा है और शुक्रवार को राज्य सचिवालय का घेराव कर मुख्यमंत्री से मांगें पूरी करने का पुरजोर आह्वान किया है। कोविड वॉरियर्ज को अभी 30 सितम्बर तक का एक्सटैंशन मिला है। जानकारी के अनुसार राज्य के अस्पतालों में मरीजों की सेवा कर रहे करीब 1800 कोविड वॉरियर्ज अपनी मांगें पूरी नहीं होने को लेकर परेशान हो गए हैं और शुक्रवार को इन कर्मियों ने सचिवालय का घेराव किया।
कर्मियों का कहना है कि उन्हें यह डर सताता रहता है कि उनकी सेवाएं कभी भी समाप्त कर दी जाएंगी। कई अस्पतालों में तो कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। कभी अनुबंध बढ़ा दिया जाता है और कभी बाहर निकाल दिया जाता है। कर्मियों ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि उनके लिए इसका पक्का रास्ता निकाला जाए क्योंकि जिस दौर में कोई भी बाहर आने को राजी नहीं था, उस समय कोविड वॉरियर्ज ने अपनी जान पर खेलकर मानवता की सेवा की थी।
कोविड कर्मी मोनिका ने कहा कि कोविड कर्मी एक्सटैंशन पीरियड से आहत हैं और 3 माह बाद उन्हें सड़कों पर आना पड़ता है। कोविड के दौर में जब कोई भी बाहर आने को तैयार नहीं था तो उस समय कोविड वॉरियर्ज ने यह जिम्मा संभाला और आज भी राज्य आपदा के दौर से गुजर रहा है और कोविड वॉरियर्ज सरकार के साथ खड़े हैं। 40000 आऊटसोर्स कर्मचारियों की तर्ज पर 1800 कोविड वॉरियर्ज को भी इसमें शामिल किया जाए। सरकार को अनुभवी स्टाफ कम वेतन में मिलेगा।
कोविड वॉरियर्ज पढ़े-लिखे हैं और कमीशन पास करने में उन्हें भी 2 से 3 अंक दिए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार ने ओपीएस जैसे मुद्दे को हल किया है और 10 गारंटियां पूरी कर रही है, वहीं एक गारंटी कोविड वॉरियर्ज को भी दी जाए। उन्होंने कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के विधायक व मंत्रियों से मिल रहे हैं और मुख्यमंत्री ने भी उन्हें आश्वासन दिया है लेकिन अभी तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई। स्टेट पैनल अब आगे की ठोस रणनीति अपनाएगा।
कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे [email protected] पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।