शिमला : हैलो सर.. मैं बजाज एलायंस लाइफ इंश्योरैंस से बोल रहा हूं… आपकी 5 साल से पॉलिसी बंद है। किस्ते नहीं भरी हैं। अगर इसे रिन्यू करवाना है तो किस्तों में पैसे जमा करवाओ। इंश्योरैंस पॉलिसी 6 लाख 70 हजार रुपए की है। ऐसे ही अज्ञात व्यक्ति की कॉल हिमाचल के हमीरपुर निवासी के मोबाइल पर आई। उसने सोचा कि यह कंपनी का ही कोई आदमी है। इसलिए बिना जांच परखे बताए गए बैंक खातों में पैसा जमा करवाता गया लेकिन कॉल करने वाला असली कंपनी का कर्मचारी नहीं बल्कि साइबर ठग था। रिटायर डीपीई उसकी बातों में आ गया और अंतत: एक करोड़ के झांसे में आकर 50 लाख रुपए गंवा बैठा। पीड़ित व्यक्ति जीपन की जमा पूंजी से हाथ धो बैठा। जमा पूंजी गंवाने के बाद अब वह सीआईडी के साइबर थाने में पहुंचा। साइबर पुलिस ने कड़ा संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज कर ली है लेकिन पुलिस वाले भी परेशान हैं कि कैसे रिटायर शिक्षक अज्ञात व्यक्तियों की बातों में आ गया। यही नहीं, उसने पॉलिसी के चक्कर में अपने पड़ोसियों से भी पैसे उधार लिए हैं।
आपबीती सुनाते-सुनाते रुंध आया गला
रिटायर शिक्षक ने साइबर थाने में आपबीती सुनाई तो उसका गला रुंध आया। उसने साइबर पुलिस को बताया कि बजाज कंपनी की लाइफ इंश्योरैंस पॉलिसी करवाई थी। इसकी प्रतिवर्ष 54 हजार रुपए की किस्त चुकानी पड़ती थी लेकिन कई वर्षों से किस्त नहीं दे पाया। अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर उसे इसे रिन्यू करवाने की बात कही, जिस पर मैं उसके बताए बैंक खातों में पैसे डालता गया। इसके लिए बहुतों बार बैंक गया। वहां से गुगल पे से पैमेंट भेजी गई। उसे बताया गया कि पॉलिसी एन्हांस कर 50 लाख रुपए कर दी है। इसकी एवज में बीते सितम्बर महीने से लगातार पैसे जमा करवाए। बदले में एक करोड़ की मैच्योरिटी होने का झांसा दिया गया लेकिन साहब.. मुझे क्या पता कि वे ठग भी होंगे। मैं तो बर्बाद हो गया हूं।
क्या कहते हैं अधिकारी
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भूपिंद्र नेगी ने मामला दर्ज होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने बैंक में जाकर भी वहां के अधिकारियों से भी सलाह नहीं ली। कंपनी के स्थानीय कार्यालय तक नहीं गए। आंख मूंद कर ठगों पर भरोसा कर लिया। लोगों को ठगों से सचेत रहना होगा। अज्ञात व्यक्तियों की बातों में कतई न आएं। असली कंपनियों की भी साइट्स हैक हो रही है। अगर कोई भी संदेह हो तो साईबर थाना से संपर्क करें।
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