
शिमला : हिमाचल प्रदेश में मानसून के दौरान ऐसी प्राकृतिक आपदा आई कि हजारों लोग बेघर हो गए और हर किसी का दिल पसीज गया। यही कारण है कि अपने जेब खर्च और गुल्लक तोड़ मासूमों ने भी मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में दान किया। हिमाचल इस भयानक त्राही से उबर रहा है और अभी भी इसे पटरी पर लाने में कई वर्ष लगेंगे। यही कारण है कि आर्थिक मदद के लिए हिमाचल केंद्र की और नजरें लगाए है और बार-बार आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं।
प्रदेश के आपदा प्रभावितों की मदद के लिए 15 जुलाई 2023 को मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष का गठन किया गया। हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों, आम लोगों, अन्य राज्यों ने इसमें योगदान दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अनोखी मिसाल पेश कर अपनी जमा पूंजी से 51 लाख रुपये दे दिए। आपदा राहत कोष में अब तक करीब 180 करोड़ रुपये इकट्ठे हो चुके हैं।
अन्य राज्यों से 60 करोड़ की राशि आर्थिक मदद के तौर पर हुई प्राप्त
प्रदेश को अन्य राज्यों से 60 करोड़ की राशि आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त हुई है। केंद्र सरकार की तरफ से सामान्य तौर पर मिलने वाली राशि के अलावा 190 करोड़ की अग्रिम राशि देने के साथ अतिरिक्त 200 करोड़ मिले हैं। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से अभी तक मुख्यमंत्री 10 से 12 हजार करोड़ के नुकसान की बात कर रहे हैं।
अभी नुकसान का आकलन किया जा रहा है और नुकसान का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। जो लोग बेघर हुए हैं उन्हें राहत शिविरों में रखने के साथ उनके लिए किराए का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। जिससे वह राहत शिविरों में ही रहने को मजबूर न हों।
बादल फटने और अचानक बाढ़ की 72 घटनाएं
प्रदेश में जुलाई और अगस्त माह में मानसून के दौरान बादल फटने और अचानक बाढ़ आने की 72 घटनाएं पेश आई। इसके कारण भारी तबाही हुई। अब तक नुकसान का आकलन 8661.68 करोड़ पहुंच गया है। 145 लोगों की मौत भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने के कारण हुई है। मानसून के दौरान 2617 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं। 11032 मकानों को नुकसान हुआ है।
318 दुकानों के साथ 5913 गौशालाओं को नुकसान पहुंचा है। लोक निर्माण विभाग का नुकसान 2941.54 करोड़, जल शक्ति विभाग को 2119.10 करोड़, बिजली बोर्ड को 1740.16 करोड़ का नुकसान हुआ है।
छत्तीसगढ़,15 करोड़ हरियाणा 5 करोड़ राजस्थान,10 करोड़ तमिलनाडु,10 करोड़ कर्नाटक,10 करोड़ उड़ीसा,10 करोड़ कुल, 60 करोड़
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