मणिमहेश यात्रा: अब 22 सितंबर को शुरू होगा राधाष्टमी का शाही स्नान, जानें शुभ मुहूर्त #
September 14th, 2023 | Post by :- | 2 Views

मणिमहेश यात्रा का राधाष्टमी शाही स्नान अब 21 की बजाय 22 सितंबर को दोपहर 1:36 बजे शुरू होगा। यह अगले दिन 12:18 बजे तक चलेगा। इसको लेकर संचुई में मणिमहेश चेला कमेटी की बैठक हुई। इसमें पवित्र शाही स्नान से लेकर मणिमहेश प्रस्थान की रूपरेखा तैयार की गई। बैठक की अध्यक्षता कमेटी के अध्यक्ष धर्म सिंह ने की। इसमें निर्णय लिया कि संचूई गांव से त्रिलोचन महादेव की छड़ी 19 सितंबर को त्रिलोचन महादेव मंदिर संचुई से चौरासी के लिए रवाना होगी।

यह छड़ी दो दिन तक चौरासी परिसर पर ठहरेगी। वहां मणिमहेश जाने वाले श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया जाएगा। छड़ी 21 सितंबर को त्रिलोचन महादेव मंदिर संचुई गांव से सुबह 9:00 बजे मणिमहेश के लिए प्रस्थान करेगी। इसमे पहले चौरासी मंदिर और पालधा गांव में कार्तिक स्वामी मंदिर की परिक्रमा के बाद रात को हड़सर शिव मंदिर पर रुकेगी।

22 सितंबर को तड़के 2:00 बजे प्रस्थान करने के बाद उसी दिन 6:00 बजे धन्छौ में कार्तिक स्वामी की जातर निकाली जाएगी। आधे घंटे के बाद धन्छौ से भैरोघाटी के लिए प्रस्थान करेगी। करीब 9:30 बजे भैरोघाटी में प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। इसके बाद गौरी कुंड मंदिर और शिवकरोतरी की परिक्रमा के बाद छड़ी 12:00 बजे के करीब डल झील पहुंचेगी। उसी दिन 1:00 बजे डल झील को पार करने की रस्म अदा की जाएगी। शिव चेले डल झील पर राधाष्टमी तक आने वाले शिव भक्तों को आशीर्वाद देंगे।

डल तोड़ने और शाही स्नान के शुभ मुहूर्त का बना संयोग

इस बार मणिमहेश यात्रा में डल तोड़ने के साथ राधाष्टमी के शाही स्नान का शुभ मुहूर्त एक साथ शुरू होगा। हर बार डल तोड़ने के अगले दिन तड़के स्नान का शुभ मुहूर्त शुरू होता है। इस बार लंबे समय के बाद शाही स्नान और डल तोड़ने का संयोग एक साथ बना है। ऐसे में शिव भक्त शिव के वंशज चेलों के साथ डल झील तोड़ने के साथ शाही स्नान भी कर पाएंगे।

22 सितंबर को दोपहर 1:36 बजे राधाष्टमी का शाही स्नान शुरू होगा। इस शुभ मुहूर्त में शिव के चेले डल झील को भी तोड़ेंगे। मणिमहेश यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु शिव के चेलों को डल झील तोड़ते वक्त देखने के लिए उनके साथ यात्रा पर जाते थे। कई बार श्रद्धालु डल तोड़ने के बाद शाही स्नान शुभ मुहूर्त में नहीं कर पाते थे क्योंकि डल तोड़ने के अगले दिन शुभ मुहूर्त होता था।

शिव चेलों को शिव भक्त अपने कंधों पर उठाकर डल तोड़ने की रस्म निभाते हैं। जिस डल झील के बीच में जाने से श्रद्धालु कतराते हैं। उसको शिव के चेले चंद मिनटों में चलकर पार करते हैं। ऐसा लगता है कि भगवान शंकर इन चेलों को अपने हाथ में उठाकर डल झील पार करवा रहे हों। इस नजारे को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे [email protected] पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।