मंडी। मंडी जिले के गोहर ब्लाॅक में 4000 फीट की ऊंचाई पर स्थित शाला पंचायत की अपनी अलग पहचान है। पंचायत प्रधान व उपप्रधान की सोच ने पंचायत में रोजगार के द्वार खोल दिए हैं। पर्यटन और कृषि को रोजगार का माध्यम बनाया तो सिंचाई सुविधा व पक्की सड़क विकास का आधार बन गई। शाला पंचायत में वर्तमान में मीनाक्षी प्रधान हैं। उनके पति राजकुमार उप प्रधान हैं। साल 2016 से राजकुमार पंचायत के प्रधान थे। 2500 की आबादी वाली इस पंचायत में 600 परिवार हैं। लोगों की आय का साधन खेती था।
मंडी जिले के देवता कमरूनाग का मंदिर इसी पंचायत में आता है। 2016 में प्रधान बने राजकुमार ने प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कमरूनाग मंदिर तक 16 किलोमीटर सड़क बनवा दी। इससे 180 परिवार यहां दुकानें या अन्य व्यवसाय आरंभ कर सीधे रोजगार से जुड़े। पंचायत के शकरैनी गांव में पार्क भी बना है। इसमें ट्री हट, विश्राम गृह, ग्रामीण हाट है। यहां महिलाएं अपने घरेलू उत्पाद बेच सकती हैं। शाला प्रदेश की पहली पंचायत है, जिसका अपना विश्राम गृह है। यहां पर्यटकों के ठहरने पर 40 से 50 हजार रुपये की आय सीजन के दौरान हो जाती है।
हर घर के लिए जीप योग्य रास्ता
2021 में पंचायत चुनाव में प्रधान की सीट महिला के लिए आरक्षित होने पर लोगों ने मीनाक्षी प्रधान व राजकुमार उपप्रधान चुन लिया। अब दोनों मिलकर काम कर रहे हैं। क्षेत्र में जलक्रीड़ाओं के लिए झील बनाई जा रही है, इसके पानी से आसपास की 100 बीघा भूमि को सिंचाई के लिए पानी भी दिया जा रहा है। हर घर के लिए जीप योग्य रास्ता, पक्की वर्षाशालिकाएं, हर घर में शौचालय का भी प्रविधान है। गांव के स्कूल के लिए भवन भी पंचायत ने ही बनवाया है। प्रधान मीनाक्षी और उप प्रधान राजकुमार कहते हैं कि मनरेगा के तहत पंचायत में विकास कार्य जारी हैं। लोगों की राय और अधिकारियों के मार्गदर्शन से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं।
सिंचाई सुविधा मिली तो खेती से मजबूत हुई आर्थिकी
शाला पंचायत के ऊंचाई वाले इलाकों में बेमौसमी मटर, गोभी, आलू, टमाटर, धान की खेती होती है। सिंचाई के लिए पानी न होने पर किसानों को बारिश पर निर्भर रहना पड़ता था। इसी बात को ध्यान में रखकर ज्वार गांव के लिए 20 लाख रुपये की सिंचाई योजना से खेतों तक पानी पहुंचाया। इससे करीब 50 किसान परिवारों को सीधा लाभ हुआ। इसी तरह सदोआं गांव में सोलर सिंचाई योजना से खेतों को सिंचित किया जा रहा है।
खेतों को सींचने के लिए पहले बारिश पर निर्भर रहना पड़ता था। पंचायत की ओर से बनाई उठाऊ सिंचाई योजना व कूहलों से पानी अब सीधे खेतों तक पहुंचता है। अब हम बेमौसमी फसलें भी लगा रहे हैं। -संजय कुमार, निवासी ज्योग।
देव कमरूनाग के लिए पंचायत की ओर से बनाई गई सड़क से पर्यटकों को आमद बढ़ी है। इससे आय का स्रोत बना है। सिंचाई योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है। -राजेश कुमार, निवासी ज्वार।
मैंने कार्यभार संभालने के बाद ही शाला पंचायत का दौरा किया था। यहां पर मनरेगा में सड़क निर्माण, सिंचाई योजनाएं बनाकर लोगों को राहत दी गई है। अब भी कई कार्य प्रगति पर हैं। -श्याम सिंह, बीडीओ गोहर।
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