नई दिल्ली। सरकार वर्ष 2023 से देश के नागरिकों को ई-पासपोर्ट जारी करेगी, जिसके लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी आधारभूत ढांचे के निर्माण पर चरणबद्ध ढंग से सात वर्ष में 268.67 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च होगा। विदेश मंत्रालय ने संसद की स्थाई समिति को इस मामले में अपनी कार्रवाई के उत्तर में यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सेवा इंक (एनआईसीएसआई) ने मंत्रालय को विभिन्न परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं जिनमें विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), वाणिज्यिक और मसौदा करार शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, एनआईसी द्वारा ई-पासपोर्ट परियोजना आरंभ करने के लिए कुल अनुमानित व्यय 268.67 करोड़ रुपए है। यह मुख्य रूप से ई-पासपोर्ट जारी करने के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिहाज से है।
लोकसभा में ‘2022-23 के लिए विदेश मंत्रालय की अनुदान की मांग’ पर विदेश मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति के 12वें प्रतिवेदन में अंतर्विष्ट सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के तहत ई-पासपोर्ट संबंधी व्यवस्था तैयार होने में मंत्रालय द्वारा एनआईसीएसआई से प्राप्त प्रस्ताव का अनुमोदन होने की तारीख से छह माह का समय लगेगा।
इसमें कहा गया है कि योजना संबंधी ढांचा तैयार होने के बाद मंत्रालय तीसरे पक्ष से लेखा-परीक्षण कराएगा जिसके बाद नागरिकों के लिए ई-पासपोर्ट जारी करना आरंभ कर दिया जाएगा। मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि इस पर सात वर्ष की अवधि में 268.67 करोड़ रुपए का अनुमानित व्यय होगा। मंत्रालय आवंटित राशि में ई-पासपोर्ट परियोजना का प्रबंधन करने में सक्षम होगा।
संसद में गुरुवार को पेश भारतीय जनता पार्टी सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना के तहत पहले वर्ष में 130.58 करोड़ रुपए, दूसरे वर्ष में 25.03 करोड़ रुपए, तीसरे वर्ष में 25.03 करोड़ रुपए, चौथे वर्ष में 25.03 करोड़ रुपए, पांचवें वर्ष में 25.03 करोड़ रुपए, छठे वर्ष में 24.46 करोड़ रुपए और सातवें वर्ष में 13.51 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
संसदीय समिति ने कहा कि वह इस बात का स्वागत करती है कि मंत्रालय बिना किसी कटौती के हर साल अपने आवंटित कोष से ई-पासपोर्ट परियोजना का प्रबंधन करने में सक्षम होगा, लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि वांछित निधि हर साल जारी की जाए।
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