साल 2032 तक भारत की कुल बिजली उत्‍पादन वृद्धि में रिन्यूबल की होगी दो तिहाई हिस्‍सेदारी #
October 3rd, 2023 | Post by :- | 18 Views

एक ताजा अध्‍ययन के मुताबिक भारत अगर अपने रिन्यूबल एनेर्जी सम्‍बन्‍धी राष्‍ट्रीय लक्ष्‍यों को अगले 10 सालों में हासिल करता है तो बिजली उत्‍पादन में होने वाले कुल विकास का दो-तिहाई हिस्‍सा सौर और पवन ऊर्जा से आयेगा।

थिंक टैंक एम्‍बर की इस रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत 14वीं राष्ट्रीय बिजली योजना (एनईपी14) में निर्धारित अपने सौर ऊर्जा सम्‍बन्‍धी लक्ष्यों को प्राप्त कर लेता है तो वित्त वर्ष 2022-32 की अवधि में इसकी हिस्सेदारी पांच गुना बढ़कर 5% से 25% होने की उम्मीद है। ऐसा कुछ होने पर इस दौर को ‘तेजी से विकास’ के दौर के तौर पर देखा जा सकता है। साथ ही, पिछले दशक तक कोयले के दबदबे से गुजरने वाले भारत के कुल ऊर्जा उत्‍पादन में अगले 10 वर्षों में होने वाले विस्‍तार का ज्‍यादातर हिस्‍सा सौर और पवन ऊर्जा का होगाबशर्ते भारत एनईपी14 के तहत निर्धारित अपने लक्ष्‍यों को हासिल करे। 

इस बीचजहां भारत में सौर ऊर्जा को अपनाने का सिलसिला बढ़ रहा हैवहीं एनेर्जी स्‍टोरेज क्षमता को और अधिक बढ़ाने की जरूरत है जिससे रात और सुबह उत्‍पन्‍न होने वाली पीक डिमांड को पूरा किया जा सके। 

एम्‍बर इंडिया के विद्युत नीति विश्‍लेषक नेशविन रोड्रिग्‍ज का कहना है, “भारत की बिजली आपूर्ति का परिदृश्‍य आने वाले दशक में काफी ज्‍यादा बदल जाने का अनुमान है। ऐसा इसलिये क्‍योंकि सौर और पवन बिजली उत्‍पादन में वृद्धि होने की सम्‍भावना है। उत्पादन और मांग की परिवर्तनशील प्रकृति को देखते हुए उन्‍हें संतुलित करने के लिए भंडारण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि महत्वपूर्ण है।’’

क्‍योंकि भारत अब रिन्यूबल ऊर्जा में निवेश को बढ़ा रहा हैलिहाजा सरकार अब आने वाले पांच वित्‍तीय वर्षों के दौरान सौर और पवन ऊर्जा क्षमता में प्रति वर्ष 50 गीगावाट की वृद्धि करने की योजना बना रही है।

एम्‍बर के विश्‍लेषण के मुताबिक एनईपी14 के महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिये भारत को वर्ष 2026-27 तक हर साल अपनी सौर ऊर्जा उत्‍पादन क्षमता में करीब 36 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी। इसका मतलब यह है कि भारत को वित्‍तीय वर्ष 2024 में कम से कम 17.5 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्‍थापित करने की जरूरत होगी। वहींवर्ष 2027 के लक्ष्‍य वर्ष तक इसे और बढ़ाकर 41 गीगावाट करना होगा। 

रिपोर्ट में शामिल अन्‍य प्रमुख निष्‍कर्षों में निम्‍नांकित बिंदु भी शामिल हैं : 

 

  • भारत में बिजली की चरम मांग (पीक डिमांड) को पूरा करने में अब सौर ऊर्जा ज्‍यादा बड़ी भूमिका निभा रही है। देश में दिन के समय पीक डिमांड की सम्‍भावना ज्‍यादा है। शाम को और सुबह बिजली की किल्‍लत से बचने के लिये ग्रिड का लचीलापन और स्‍टोरेज निर्माण अब पहले से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हो गया है।
  • एनईपी14 भंडारण क्षमता लक्ष्यों में पंप किए गए हाइड्रो स्टोरेज और बैटरी स्टोरेज शामिल हैं। वे वित्त वर्ष 2032 तक सौर और पवन स्रोतों से 15% बिजली उत्पादन को दिन के समय सुबह और शाम के घंटों में स्थानांतरित करने में सक्षम होंगे।
  • भारत रिन्यूबल एनेर्जी को अपनाने की मुहिम में तेजी ला रहा है। ऐसे में कोयले से चलने वाले नये बिजलीघर बनाने के मुकाबले भंडारण क्षमता वाले डिस्‍पैचेबल सौर ऊर्जा बिजलीघरों का निर्माण करना ज्‍यादा किफायती होगा।

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