तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि चीन में आज के समय में बौद्ध विहार और गौतम बुद्ध को मानने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। एक समय में चीन में इनकी संख्या में कमी आई थी। उन्होंने कहा कि चीन के लोगों के साथ कई वर्षों से हमारा कर्मों का संबंध रहा है। यह शब्द दलाई लामा में बुधवार को मैक्लोडगंज स्थित मुख्य मंदिर में ताइवानी बौद्ध संघ के अनुरोध पर आर्यअवलोकितेश्वर पर प्रवचन देते हुए कहे। उन्होंने कहा कि चीन के बहुत सारे संकुचित विचारधारा मानने वालों की वजह से तिब्बत में धर्म और अभ्यास को रोक दिया गया था।
अब चीन में भी बुद्ध को मानने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। विश्व में शांति के लिए हर कोई शोर मचा रहा है और आवाज उठा रहा है, लेकिन उसके लिए पहले अपने को शांत करना होगा। मन की शांति दूसरों का हित करने से मिलती है। कोई दवाई खाने से मन शांत नहीं होता है। प्रेम और करुणा के पथ पर चल कर ही विश्व में शांति फैलाई जा सकती है। प्रेम और करुणा को हर कोई पसंद करता है। इसलिए अच्छे व्यक्ति बनें और जितना हो सके दूसरों का हित करें।
दलाई लामा ने कहा कि प्रेम की भावना हमारे भीतर जन्म से ही होती है। जब हम मां के गर्भ में होते हैं तो प्रेम की वजह से ही हम लोग उसके गर्भ में पलते हैं। वहीं जन्म लेने के बाद भी मां के दूध और प्रेम पर ही निर्भर रहते हैं। इसके बाद भी हम प्रेम से मां के सानिध्य में बड़े होते हैं। इसलिए प्रेम हमारे अंदर बचपन से ही होता है। बता दें कि 2 से 4 अक्तूबर तक चलने वाली टीचिंग के आखिरी दिन ही दलाई लामा ने प्रवचन दिए।
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