नाहन : गिरिपार के हाटी समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने के बाद गुज्जर समुदाय के विरोध के स्वर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। समुदाय का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उनके आरक्षण से छेड़खानी की जा रही है। शनिवार को जिला मुख्यालय में गुज्जर समाज कल्याण परिषद के अध्यक्ष हंसराज भाटिया ने पत्रकार सम्मेलन में बताया कि गिरिपार को अगर जनजातीय क्षेत्र घोषित किया जाता है तो गुज्जर समुदाय के लिए आरक्षित 7.5 प्रतिशत कोटे में कमी आएगी, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फिलहाल केंद्र सरकार ने हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान कर दिया है।
गिरिपार क्षेत्र के लिए अलग से निर्धारित हो कोटा
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि गिरिपार क्षेत्र के लिए अलग से कोटा निर्धारित करे या कोटे को बढ़ाया जाए। यदि उनके हित में जल्द कोई निर्णय नहीं लिया गया उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। शुरूआत में हम राज्यपाल व मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर अपील कर रहे हैं। केंद्र सरकार से भी अनुरोध करेंगे। अगर बात नहीं बनी तो आंदोलन होगा और दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना देंगे।
जरूरत पड़ी तो खटखटाएंगे न्यायालय का दरवाजा
गुज्जर समाज कल्याण युवा परिषद के सदस्य नवीन चौधरी ने बताया कि समुदाय अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है और अपने कोटे को सुरक्षित रखने की मांग कर रहा है। गिरिपार जनजातीय मामले को आरजीआई ने खारिज कर दिया था लेकिन इसके बावजूद क्षेत्र को जनजातीय घोषित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो गुज्जर समुदाय न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा और शिमला और जंतर-मंतर में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
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