पर्वतारोहण के इतिहास में पहली बार किसी दल ने 21,146 फीट ऊंची चोटी को बिना पोर्टरों की मदद से फतह किया है। हिमाचल और लद्दाख सीमा के बीच समुद्रतल से 6,105 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस अज्ञात चोटी को फतह करने वाली टीम का नेतृत्व मध्य प्रदेश के आयकर विभाग के अतिरिक्त आयुक्त विक्रांत सिंह ने किया। दल में देश के विभिन्न राज्यों के 11 पर्वतारोही शामिल रहे। करीब नौ दिन के लंबे और जोखिम भरे अभियान को पूरा कर यह दल शुक्रवार को केलांग पहुंचा। दल ने 29 जुलाई को जिंगजिंगवार बेस कैंप से अभियान को शुरू किया।
दल जैसे ही 5,100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचा तो हिमपात शुरू हो गया। इस कारण अभियान को दो दिन तक रोकना पड़ा। अभियान के दौरान टीम को करीब ढाई किमी ग्लेशियर के ऊपर कदमताल करना पड़ा। बर्फीली हवाओं के साथ कड़ाके की ठंड के बीच चार जुलाई को टीम ने चोटी को फतह कर तिरंगा फहराया। समुद्रतल से इतनी ऊंचाई की चोटी को फतह करने के लिए दल ने पोर्टर की मदद नहीं ली। दल के कप्तान विक्रांत सिंह ने बताया कि इस अज्ञात चोटी को बर्फबारी के बीच फतह करना आसान नहीं था। टीम के सदस्यों की हौसले के आगे यह चोटी छोटी पड़ गई।
हरनाम सिंह ठाकुर के नाम से चोटी का नामकरण करने का प्रस्ताव
अब इस अज्ञात चोटी को अटल बिहारी पर्वतारोहण संस्थान के प्रथम निदेशक हरनाम सिंह ठाकुर के नाम पर नामकरण करने के लिए संस्थान के माध्यम से अखिल भारतीय पर्वतारोहण संघ को अभियान की वीडियोग्राफी के साथ प्रस्ताव भेजा जाएगा। चोटी को फतह करने से पहले टीम ने गूगल अर्थ, सर्वे ऑफ इंडिया के मानचित्र की मदद से चोटी की रेकी की। चोटी पर टीम ने हरनाम सिंह के नाम की पट्टिका स्थापित की है। उपायुक्त लाहौल-स्पीति सुमित खिमटा ने पूरे दल को बधाई दी है।
11 सदस्य टीम में दो महिला पर्वतारोही भी शामिल
केलांग। 21,146 फीट ऊंची चोटी को फतह करने वाली टीम में उत्तराखंड की दो महिला पर्वतारोही कलावती बाराल और मेनका गुंजयाल के साथ विक्रांत सिंह, आशीष सिंह, ओंकार जोशी, तनय नहाते, अभिषेक गायकवाड़, सिदेश कदम, डॉ. संदीप कालिया, निशांत ठाकुर और संतोष राव शामिल रहे।
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