बहुत ज़्यादा प्रोटेक्टिव होना
आपने 9 महीने तक बच्चे को अपने गर्भ में रखा है और अब उसके बाहर आने के बाद भी आप उसे ख़ुद से एक पल के लिए भी अलग नहीं कर पा रही हैं. ऐसा हर नई मां करती है. लेकिन आपको यही ग़लती करने से ख़ुद को रोकना है. संयम बरतें. अपने लाड़ली/लाड़ले को उसके पापा या दादी के हाथ में सौंपने में हिचकिचाए नहीं. विश्वास रखें, वे सुरक्षित हाथों में हैं.
क्या वह ज़्यादा ही उल्टी कर रहा है? कहीं वो ज़्यादा या कम तो नहीं खा रहा? क्या मेरा बच्चा ज़्यादा रो रहा है या बाक़ियों से कम? ऐसी हर छोटी-मोटी बातों को लेकर नई मां चिंतित रहती हैं. हम ये नहीं कहना चाहते कि आप ज़रूरत पड़ने पर एक्स्पर्ट्स की मदद न लें या छोटे-मोटे संकेतों को नज़रअंदाज़ करें, लेकिन हर बात पर सशंकित रहना भी आप दोनों की सेहत के लिए अच्छा नहीं है. उसे बड़े होता देखने और उसका आनंद उठाने के लिए अपनी चिंताओं को थोड़ा कम करें.
अपना ख़्याल न रखना
हम यह नहीं कहते कि आप तुरंत ही अपना वज़न घटाने के पीछे लग जाएं, लेकिन अपनी पूरी सेहत का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है. बच्चों की देखरेख करते-करते अक्सर मांएं अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ कर देती हैं. बच्चे की परवरिश करना काफ़ी थका देनेवाला हो सकता है. अतः भरपूर आराम करना और पूरी नींद लेना नई मां के लिए बेहद ज़रूरी है. जितनी ज़्यादा आप ख़ुश और सेहतमंद रहेंगी, आपका बच्चा भी उतना ही बेहतर महसूस करेगा. आराम करने का कोई भी मौक़ा न छोड़ें.
पैरेंटल गाइड्स और किताबें काफ़ी काम की होती हैं. इनमें अच्छी जानकारियां दी गई होती हैं. लेकिन एकदम से इनके मुताबिक़ चलना भी सही नहीं है. हर किसी की स्थिति अलग होती है. जब बात बच्चों को संभालने की हो तो अपने इन्ट्यूशन्स पर भी भरोसा करें.
हर पल की तस्वीर लेना
पहली मुस्कान से लेकर पहली बार उसके रोने तक की हर तस्वीर खींचने की कोशिश में कहीं आप उस अनुभव का आनंद उठाना तो नहीं भूल रहीं. ऐसे मौक़ों को तस्वीरों में क़ैद करने से ज़्यादा ज़रूरी है, उनको जीना. उसकी हर हरक़त को महसूस करें और उन पलों को जिएं.
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