कानून ने बुजुर्गों को यह अधिकार दिया है कि यदि बच्चे उनसे दुर्व्यवहार करें, समय पर ठीक भोजन न दें, उनसे नौकर जैसा बर्ताव करें तो माता-पिता बेटा-बेटी-दामाद या कोई और, सभी को अपने घर से निकाल सकते हैं। वसीयत से बेदखल कर सकते हैं। यदि वसीयत बच्चों के नाम कर दी है तो उसे बदलवाकर अपनी संपत्ति बच्चों से छीन सकते हैं।
एक उदाहरण देखिए- दिल्ली हाईकोर्ट ने 2016 में इसी तरह के एक मामले में आदेश सुनाया था कि बेटा केवल माता-पिता की मर्जी से ही उनके घर में रह सकता है। माता-पिता न चाहें तो उसे उनके घर में रहने का कानूनी हक नहीं है, भले ही उसकी शादी हुई हो या न हुई हो। इसी तरह दिल्ली का ही 2017 का एक केस है, जिसमें हाईकोर्ट ने एक अन्य फैसले में कहा गया था कि जिन बुजुर्गों के बच्चे उनसे खराब व्यवहार करते हैं, वे किसी भी तरह की प्रॉपर्टी से, वसीयत से बच्चों को बेदखल कर सकते हैं। सिर्फ माता-पिता की कमाई से बनी संपत्ति पर ही यह बात लागू नहीं होती, बल्कि यह प्रॉपर्टी उनकी पैतृक और किराए की भी हो सकती है जो बुजुर्गों के कानूनी कब्जे में हो।
सामान्य तौर पर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर
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सवाल- निकाले गए बच्चे वसीयत के हकदार होंगे?
जवाब- अपनी खुद की बनाई संपत्ति से माता-पिता बच्चे को बेदखल कर सकते हैं। जब तक वे न चाहें बच्चे हकदार नहीं होंगे। हां, उनकी मृत्यु बाद वे दावा कर सकते हैं, बशर्ते वे संपत्ति दान करके न मरे हों। लेकिन दादा-परदादा के उत्तराधिकार वाली संपत्ति के मामले में वे बच्चों को बेदखल नहीं कर सकते।
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सवाल- क्या दूसरी पत्नी के बच्चे वसीयत में हकदार हैं?
जवाब- हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरा विवाह वैध नहीं माना जाता। लेकिन, पहली पत्नी की मौत के बाद व्यक्ति दूसरी शादी करता है तो उसे वैध माना जाएगा। फिर उसके बच्चे भी वसीयत में हकदार होंगे।
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सवाल- वसीयत को चुनौती कैसे दें?
जवाब- किसी परिवार में चार भाई हैं। एक भाई ने पिता की मृत्यु उपरांत अपनी मां से वसीयत के दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर करवा लिए, तो आप उस वसीयत को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
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सवाल- हमें अपना हिस्सा कब नहीं मिल पाता?
जवाब- पिता ने जीवित रहते खुद खरीदी संपत्ति किसी को दे दी तो वारिसों को उसमें हिस्सा नहीं मिलता। पिता की मौत के बाद भी वे हक नहीं जमा पाएंगे। हालांकि, रजिस्ट्रेशन एक्ट के अनुसार, अचल संपत्ति का गिफ्ट डीड कराना जरूरी है। यदि पिता ने इसे रजिस्टर्ड नहीं कराया है तो कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
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