मनाली : फ्रैंडशिप पीक में 19 नवम्बर की सुबह हिमस्खलन का शिकार हुए शिमला के पर्वतारोही आशुतोष का कोई सुराग नहीं लग पाया है। प्रशासन ने 13 दिन रैस्क्यू अभियान चलाने के बाद शुक्रवार को अभियान बंद कर दिया है। गत 19 नवम्बर को आशुतोष के दोस्तों ने इस हादसे की सूचना पुलिस को दी थी। 20 नवम्बर को प्रशासन ने अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतरोहण सहित एडवैंचर टूअर ऑप्रेटर एसोसिएशन कुल्लू मनाली की टीम रैस्क्यू के लिए भेज दी थी। इस बीच प्रशासन ने हवाई रैकी भी करवाई और ड्रोन की भी मदद ली। संयुक्त रैस्क्यू टीम ने पीक के समीप बेस कैंप बनाया और माइनस तापमान का सामना कर रैस्क्यू को अंजाम दिया। बात बनती न देख पर्वतरोहण संस्थान के निदेशक अविनाश नेगी ने सियाचिन में सेवाएं देने वाली टीम तिरंगा रैस्क्यू की भी मदद ली। इस टीम के साथ-साथ सेना की डोगरा स्काऊट व आईटीबीपी की टीम ने भी रैस्क्यू का मोर्चा संभाला। सभी टीमों ने 12 दिन लगातार रैस्क्यू अभियान चलाया। इस दौरान पर्वतारोही का हैल्मेट, चश्मा व हैड टॉर्च तो मिल गए लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लग पाया।
जानकारों की मानें तो फ्रैंडशिप पीक में भारी भूस्खलन हुआ है। अब गर्मियों में बर्फ पिघलने के बाद ही पर्वतारोही का पता चल पाएगा। एसडीएम मनाली सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि पर्वतारोही को तलाशने की हरसंभव कोशिश की गई है लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है। उन्होंने कहा कि कि रैस्क्यू टीम को कुछ आधुनिक उपकरण भेजे हैं। लाहौल में हुए हिमस्खलन को देखते हुए अब प्रशासन जोखिम नहीं उठा सकता। शुक्रवार को रैस्क्यू टीम के सभी जवान वापस मनाली लौट आए। उन्होंने पर्वतारोहियों से आग्रह किया कि मनमर्जी से ट्रैकिंग के लिए न जाएं। पर्यटन विभाग से पंजीकृत ट्रैवल एजैंसियों द्वारा अनुभवी गाइडों के साथ निर्धारित समयसीमा में ही पहाड़ों में ट्रैकिंग के लिए जाएं।
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